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 इस साल मुंबई में गणेशोत्सव रहेगा फीका

 इस साल मुंबई में गणेशोत्सव रहेगा फीका

मुंबई, । महाराष्ट्र का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है गणेशोत्सव. खासकर मुंबई में १० दिनों तक गणपति उत्सव की धूम मचती है. साज सज्जा, पंडाल, संगीत और प्रसाद के लिए हफ्तों की मेहनत के बाद मुंबई के गणेशोत्सव की चर्चा देश ही क्या दुनिया भर में होती है. खासकर लालबाग का राजा जो विश्व प्रसिद्ध हो चुके हैं. इस राजा के दरबार में आम से ख़ास तक अपनी हाजिरी लगाते हैं. लेकिन हर साल भव्य और बड़े पैमाने पर होने वाले इस उत्सव का रंग रूप और मिज़ाज इस बार काफी बदला हुआ होगा क्योंकि कोविड-१९ की चपेट में देश में सबसे ज़्यादा जो राज्य रहा, वो महाराष्ट्र और जो शहर रहा, वो मुंबई ही है. इस साल २२ अगस्त को गणेश चतुर्थी मनाई जाने वाली है और मुंबई में इसके लिए अलग तरह की तैयारियां चल रही हैं. एक हफ्ते से दस दिन के उत्सव के बाद समुद्र में बहुत बड़े स्तर पर मूर्ति विसर्जन का कार्यक्रम मुंबई की सांस्कृतिक शान रहा है, लेकिन इस बार कई जगह छोटे छोटे टैंक बनाए जा रहे हैं. एक तरफ निर्देश भी हैं, तो दूसरी तरफ आयोजकों की अपनी समझ भी. आपको बताते हैं कैसे इस बार बदला हुआ दिखेगा मुंबई का प्रसिद्ध गणेशोत्सव.
- नियमों से कैसे कम हो गया उत्साह?
महाराष्ट्र सरकार ने पिछले महीने जारी किए निर्देशों में लोगों से कृत्रिम तालाबों में मूर्ति विसर्जन करने को कहा. हालांकि अब तक समुद्र या अन्य प्राकृतिक जल इकाइयों में विसर्जन के लिए कोई बैन नहीं लगा है. इसके बावजूद कोविड-१९ के सबसे बड़े हॉटस्पॉट रहे मुंबई में इस बार उत्साह कम है. इस बार गणेश प्रतिमाओं की ऊंचाई को लेकर भी नियम बना दिए गए हैं. सार्वजनिक पंडालों में पिछले साल तक ऊंची ऊंची गणेश प्रतिमाएं दिखती थीं और खास तौर से गिरगांव चौपाटी पर विसर्जन के समय दो लाख से ज़्यादा लोग इकट्ठे हो जाते थे. लेकिन इस बार सार्वजनिक पंडालों में चार फीट और घरेलू झांकियों में दो फीट से ऊंची प्रतिमा नहीं दिखेगी. वहीं सरकारी निर्देशों के तहत हर इलाके में कृत्रिम तालाब बनाए जा रहे हैं. कई जगह पंडाल लगाने वाले आयोजक ही कृत्रिम तालाब बनवा रहे हैं क्योंकि निर्देशों के मुताबिक विसर्जन में ५ से १० लोग से ज़्यादा इकट्ठे नहीं हो सकेंगे.
- बैंड बाजा होगा मगर कम कम
मुंबई के गणेशोत्सव की भव्यता के साथ ही सरसता को जो लोग जानते हैं, उन्हें पता है कि संगीत यानी बैंड बाजे का इस उत्सव में कितना महत्व है. ढोल, ताशों और बैंड के कलाकार हफ्तों तक दर्जनों और सैकड़ों की तादाद के समूहों में गणेशोत्सव के लिए तैयारी करते हैं और संगीत के बड़े आयोजन पंडालों में होते हैं. खासकर नाशिक के  ढोल की सबसे ज्यादा डिमांड रहती है. हालांकि इस बार सोशल डिस्टेंसिंग के नियम के चलते भीड़ नहीं जमा की जानी है इसलिए बड़ा जुलूस तो नहीं होगा लेकिन थोड़ा बहुत संगीत का आयोजन ज़रूर होगा क्योंकि इस पर कोई बैन नहीं है.
- इस साल लालबाग के राजा नहीं!
मुंबई के गणेशोत्सव के दौरान सबसे ज़्यादा चर्चा लालबाग के गणेश मंडप की होती रही है, जिसके दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु देश भर से पहुंचते रहे हैं और २४ घंटे से भी ज़्यादा लाइन में खड़े रहकर दर्शन करते हैं. लेकिन, ८६ सालों में पहली बार ऐसा होने जा रहा है कि इस साल मुंबई में लालबाग के राजा यानी गणेश मंडप का आयोजन नहीं होगा.
- ऑनलाइन हो सकेंगे दर्शन
लालबाग की तर्ज़ पर मुंबई के कुछ और प्रसिद्ध पंडालों ने भी इस साल आयोजन नहीं  करने का फैसला लिया है. वडाला का जीएसबी पंडाल भी इन्हीं में से एक है, जो इस साल आयोजन नहीं कर रहा है. हालांकि जो पंडाल आयोजन नहीं कर रहे हैं, उनमें से कुछ ने कहा है कि सोशल मीडिया के ज़रिये श्रद्धालुओं को ऑनलाइन दर्शन कराने की व्यवस्था की जाएगी ताकि पंडालों पर भीड़ जमा न हो.
- फिर भी पंडालों पर श्रद्धालु पहुंचे तो?
इन तमाम बदलावों के बावजूद पहले जितनी तो नहीं, लेकिन बड़ी संख्या में अगर किन्हीं पंडालों पर श्रद्धालु पहुंचे तो क्या होगा? इस सवाल के जवाब में आयोजक फिलहाल यही कह रहे हैं कि इसे रोका नहीं जा सकता, लेकिन वो दिन में तीन बार तक पंडाल को सैनिटाइज़ करने जैसे कदम उठाने वाले हैं. साथ ही, श्रद्धालुओं के टेंपरेचर और ऑक्सीजन चेक की व्यवस्था भी होगी. 
हालांकि इससे कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर पूरी सुरक्षा की गारंटी नहीं है. बहरहाल अब तक प्रशासन या सरकार की तरफ से पंडालों पर दर्शन के लिए लोगों के पहुंचने को लेकर कोई खास गाइडलाइन या प्रतिबंध जैसा आदेश नहीं है.    
 

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