अलीगढ़ । इस वर्ष भगवान श्री .ष्ण जन्माष्टमी पर विभिन्न मत होने के कारण जनमानस में भ्रम की स्थिति है जनमानस यह भ्रम दूर करें ।शास्त्रीय मान्यता अनुसार श्री .ष्ण भगवान का जन्म चंद्रोदय व्यापिनी अष्टमी तिथि मैं रोहिणी नक्षत्र में वृषभ के चंद्रमा में बुधवार के दिन हुआ था शास्त्रीय वचन यह भी है की सप्तमी युक्त अष्टमी में जन्माष्टमी का व्रत नहीं किया जाता है। उक्त जानकारी पंडित सुनील कुमार शर्मा श्री सत्यनारायण ज्योतिष संस्थान डोरी नगर ने दी है।
पं. सुनील कुमार षर्मा ने बताया कि अष्टमी तिथि नवमी से युक्त होनी चाहिए । इसी मतानुसार 12 अगस्त को दिन बुधवार है चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ राशि में है तथा अष्टमी तिथि नवमीतिथि से युक्त है रोहिणी नक्षत्र अर्धरात्रि के बाद अष्टमी के निकट 3बजकरष्7मिनट से शुरू है जबकि 11 अगस्त को चंद्रोदय व्यापिनी तिथि तो है मगर और कुछ भी नहीं मिलता शास्त्र बचन यह भी है कि सप्तमीयुक्ता अष्टमी में व्रत करने से पुत्र की हानि होती है इसलिए गृहस्थ वाले सप्तमी युक्ता अष्टमी में व्रत ना करें जो 11 अगस्त को है अत: शास्त्र के मतानुसार श्री .ष्ण जन्माष्टमी व्रत 12 अगस्त 2020 को करने का विधान बनता है अत: जनमानस 12 अगस्त को श्री .ष्ण जन्माष्टमी का व्रत करें जो धर्म तथा तर्कसंगत बनता है श्री .ष्ण जन्माष्टमी व्रत का पूजन मुहूर्त 12 अगस्त की अर्धरात्रि 12रू00 बजे से लेकर 12 बजकर 48 मिनट तक है । इस शुभ मुहूर्त में भगवान श्री .ष्ण के जन्म का विधान पूर्ण करना विशेषकर होगा अत: पूरी श्रद्धा भाव से बुधवार को अपने घर पर ही जन्माष्टमी मनाएं और कोरोना के इस काल में जरूरत पड़ने पर ही घर से निकलें तथा 2 गज की दूरी का पालन करें भगवान श्री .ष्ण आप सबकी इच्छा पूरी करें तथा भगवान से प्रार्थना करें की कोरॉना बायरस को जल्द से जल्द से दूर करें।
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सप्तमी युक्त अष्टमी में जन्माष्टमी का व्रत नहीं किया जाता है:पं. सुनील