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 माइक्रोस्कोपी में हुई प्रगति ने शारीरिक गति से सम्बंधित जटिल सवालों के अध्ययन में मदद की: प्रो.राघवन

 माइक्रोस्कोपी में हुई प्रगति ने शारीरिक गति से सम्बंधित जटिल सवालों के अध्ययन में मदद की: प्रो.राघवन

नई दिल्ली । भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर के.विजयराघवन ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि माइक्रोस्कोपी में हुई प्रगति ने हमें चलने और उड़ने के जटिल सवालों के अध्ययन में मदद की है। हम कोशिकाओं के बेहतरीन फोटो देख सकते हैं और इससे हम कोशिकाओं के विशिष्ट घटकों तथा उनके कार्यों को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं। वे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) के स्थापना दिवस को संबोधित कर रहे थे। 
भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) के 50वें स्थापना दिवस पर “शारीरिक गति का विकास” विषय पर आयोजित वर्चुअल समारोह के दौरान अपने व्याख्यान में प्रोफेसर के विजयराघवनने कहा, "पर्यवेक्षण उपकरण में सुधार हमें प्रयोग करने की अनुमति देता है, कोशिकाओं को आनुवंशिक रूप से हटाया जा सकता है, कोशिकाओं के घटकों को भी हटाया जा सकता है, उनके कार्यों को बढ़ाया जा सकता है तथा 'कार्यों के नुकसान' और 'कार्यों के लाभ' प्रौद्योगिकी से बहुत कुछ प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पिछले 20 वर्षों मेंपर्यवेक्षण उपकरण में इतना सुधार हुआ है कि व्यक्ति कीट को खोल सकता है और देख सकता है कि क्या हो रहा है। इसके अलावा, विभिन्न प्रकार के रंजक और लेबल का उपयोग, विभिन्न घटकों को रेखांकित करने के लिए किया जा सकता है, जैसे पर्यवेक्षण खगोल विज्ञान में विभिन्न स्पेक्ट्रा को दर्शाने के लिए किया जाता है।
प्रो.विजय राघवन ने कहा कि हरकत या गति तंत्रिका तंत्र से पैदा होती है,तंत्रिका तंत्रहमारे द्वारा आस-पास से ली गई जानकारी पर प्रतिक्रिया करती है और हरकत या गति इस बात पर निर्भर करती है कि हम इसे कैसे लेते हैं तथा इसे अपने मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में कैसे संसाधित (प्रोसेस) करते हैं। उन्होंने कहा कि गति को नियंत्रित करनेवाले निर्देशों की कनेक्टिविटी पर पर्याप्त अद्ययन किया जा रहा है। पिछले 20 वर्षों के दौरान इसके एक अन्य क्षेत्र पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है -'गति कैसे विकसित होती है' या कैसे एक शिशु बंदर अपने जन्म के तुरंत बाद चारों ओर दौड़ता है, जबकि मानव शिशु ऐसा नहीं कर सकता है, साथ ही वास्तविक दुनिया के साथ चलने और निपटने की क्षमता कैसे विकसित होती है। “इन सवालों का जवाब विभिन्न इकाइयों में गति के लिए आवश्यक घटकों के विभाजन में काफी हद तक निहित है। 
ये इकाइयां हैं- तंत्रिका तंत्र, मांसपेशियां, स्नायु, मस्तिष्क से जुडाव आदि।यह पूछना कि इनमें से प्रत्येक कैसे कार्य करता है, वैसा ही है जैसे ऑटोमोबाइल की फैक्टरी में विभिन्न कलपुर्जों को निर्मित किया जाता है और इन्हें बेहतर तरीके से काम करने के लिए आपस में जोड़ दिया जाता है।
 

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