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 भाजपा विधायक दल की बैठक में बनी सहमति गहलोत सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी भाजपा

 भाजपा विधायक दल की बैठक में बनी सहमति गहलोत सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी भाजपा

जयपुर  । राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार पर सियासी संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। सचिन पायलट खेमे की वापसी के बाद अब बीजेपी सरकार के खिलाफ विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएगी। शुक्रवार से शुरू होने जा रहे विधानसभा सत्र में बीजेपी की ओर से अविश्वास प्रस्ताव लाने का ऐलान किया है। विपक्ष की इस चुनौती के बाद अब गहलोत सरकार को सरकार बचाने के लिए फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित करना होगा। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने बताया कि कांग्रेस सरकार अपने विरोधाभास से गिरेगी। पिछले एक महीने से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बीजेपी पर यह झूठा आरोप लगा रहे हैं। लेकिन कांग्रेस दो फाड़ हो चुकी है और इनके आपस की अदावत से ही सरकार गिरेगी।
विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने गुरुवार को पार्टी की बैठक के बाद इसकी घोषणा की है। उधर, नेता गुलाबचंद कटारिया ने कहा है कि ये सरकार अब जल्द गिरने वाली है क्यों कि कांग्रेस अपने घर में टांका लगाकर कपड़े को जोडऩा चाह रही है, लेकिन कपड़ा फट चुका है।
भाजपा की पूरी तैयारी
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि पार्टी ने पूरी तैयारी कर रखी है। उन्होंने कहा कि सरकार एक महीने से बाड़े में बंद है। प्रदेश में केंद्र सरकार की योजनाओं की अनदेखी की जा रही है। ये सरकार विरोधाभास की सरकार है। उधर, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा ने भी कांग्रेस पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने जनता का नहीं खुद के हितों का ध्यान रखा। हमने राजस्थान में 10 साल खूब काम किया था। कांग्रेस सरकार आने के बाद हमारी योजनाओं के नाम बदल दिए गए या बंद कर दी गईं। अब हमें केंद्र के कामों को लोगों तक पहुंचाना है।
तोमर भी शामिल हुई बैठक में
भाजपा के विधायक दल की बैठक में गुरुवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र भी शामिल हुईं। इससे पहले राजनीतिक गलियारों में भाजपा में गुटबाजी की खबरें सुर्खियां बनी थीं। हालांकि इस बैठक में सभी नेता एकजुट नजर आए और इस एकजुटता और अविश्वास प्रस्ताव के ऐलान ने गहलोत खेमे में परेशानी बढ़ा दी है।
पायलट गहलोत से मिले
राजस्थान में सियासी विवाद के बाद पहली बार सचिन पायलट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलने उनके घर पहुंचे। पिछली बार दोनों 20 जून को मिले थे। इस बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने फिर दोहराया है कि हमें फॉरगेट एंड फॉरगिव, आपस में भूलो, माफ करो और आगे बढ़ो की भावना के साथ डेमोक्रेसी को बचाने की लड़ाई में जुटना है। कांग्रेस की लड़ाई तो सोनिया गांधी और राहुल गांधी की लीडरशिप में डेमोक्रेसी को बचाने की है। पिछले एक महीने में कांग्रेस में आपस में जो भी ना-इत्तेफाकी हुई है, उसे देश हित में, प्रदेश हित में, प्रदेशवासियों के हित में और लोकतंत्र के हित में भूल जाना चाहिए।
 

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