बेंगलुरु । कर्नाटक के बेंगलुरु में हुई हिंसा के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। बेंगलुरु पुलिस ने डीजे हल्ली केस में 60 और आरोपियों को गिरफ्तार किया है। अब तक अरेस्ट किए कुल लोगों की संख्या 206 हो गई है। इस बीच एसडीपीआई के कलीम पाशा और कांग्रेस के कनेक्शन का खुलासा हुआ है। दरअसल कलीम पाशा की पत्नी कांग्रेस की पार्षद हैं। इस हिंसा के पीछे एसडीपीआई और कांग्रेस के गठजोड़ की आशंका जताई जा रही है, क्योंकि कलीम पाशा के कांग्रेस से बहुत अच्छे संबंध हैं।
इस मामले में दर्ज हुई एफआईआर से पता चलता है कि दंगे सिर्फ एक फेसबुक पोस्ट की वजह से नहीं हुए थे, बल्कि इसके पीछे एक बहुत बड़ी साजिश थी। कर्नाटक को दंगों की आग में जलाने की साजिश का पता इस बात से भी लगता है कि बेंगलुरु से करीब 245 किलोमीटर दूर चिकमंगलूर में भी सांप्रदायिक सौहार्द तोड़ने की कोशिश की गई। उपद्रवियों ने बुधवार देर शाम चिकमंगलूर के श्रृंगेरी में शंकराचार्य की मूर्ति की पर कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पीएफआई के राजनीतिक संगठन एसडीपीआई का झंडा फेंका। जिसके बाद हिंदूवादी संगठन गुस्से में आ गए और विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। बाद में पुलिस ने उस झंडे को हटा दिया और इस मामले में एक एफआईआर दर्ज की।
कर्नाटक के पर्यटन मंत्री सीटी रवि ने पुलिस को मामले की जांच कर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा यह पता चला है कि एसडीपीआई के झंडे को श्रृंगेरी में श्री शंकराचार्य की प्रतिमा पर फेंका गया है। मैंने पुलिस अधिकारियों को जांच करने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सभी सहयोग करें। भाजपा नेता और कर्नाटक की उडुपी चिकमंगलूर सीट से सांसद शोभा करंदलाजे ने भी घटना को लेकर एसडीपीआई पर हमला बोला है। उन्होंने कहा असहिष्णुता चरम को छू रही है। असामाजिक तत्व लोगों को अपने खतरनाक एजेंडों के प्रचार के लिए उकसा रहे हैं। मैं श्रृंगेरी में श्री शंकराचार्य की प्रतिमा पर एसडीपीआई का झंडा लगाने की घटना की निंदा करती हूं, जो लोग इस घटना के पीछे हैं उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
भाजपा प्रवक्ता एस प्रकाश ने बेंगलुरु और चिकमंगलूर की घटना पर कहा कि एसडीपीआई के साथ अब कांग्रेस पार्षद के पति गिरफ्तार हुए हैं, कांग्रेस जवाब दे। कलीम पाशा केजे जॉर्ज के करीबी हैं। डीके शिवकुमार, सिद्धरमैया बताएं कि उनकी इस दंगे में क्या भूमिका है। बता दें कि बेंगलुरु हिंसा में शामिल दंगाई पुलिस वालों की हत्या करना चाहते थे। अगर ये लोग अपने इरादों में कामयाब हो जाते तो कर्नाटक के बेंगलुरु में भी कानपुर के बिकरू गांव जैसी वारदात हो जाती और इन अपराधियों और दंगाइयों के हाथों कई पुलिस कर्मी मारे जाते। इसका मतलब एक बहुत बड़ी साजिश रची जा रही थी।
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कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पीएफआई के सियासी विंग एसडीपीआई और कांग्रेस ने रची थी बेंगलुरु को जलाने साजिश?