मुंबई, । राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने बीपीसीएल और एचपीसीएल समेत चार कंपनियों को मुंबई के माहुल, अम्बापाड़ा और चेम्बूर जैसे इलाकों में ‘गैस चैम्बर जैसी स्थिति’’ पैदा करने के लिए जिम्मेदार ठहराया है. एनजीटी ने पर्यावरण को हुए नुकसान के लिए 286.2 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया. अपने आदेश में एनजीटी ने कहा कि वातावरण में वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (वीओसी) की मौजूदगी के पीछे, वाहनों से उत्सर्जन समेत कई और कारण भी हो सकते हैं, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि सी लॉर्ड कन्टेनरर्स लिमिटेड (एसएलसीएल), एजिस लॉजिस्टिक्स लिमिटेड (एएलएल), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) माहुल और अम्बापाड़ा गांवों में वीओसी की मौजूदगी के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं. दरअसल मुंबई निवासी चारुदत्त कोली ने मुंबई के माहुल, अम्बापाड़ा और चेम्बूर क्षेत्रों में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए खासकर कंपनियों द्वारा कदम उठाए जाने का अनुरोध करते हुए याचिका दायर की थी. अधिकरण ने याचिका की सुनवाई करते हुए कहा, ‘हानिकारण वायु प्रदूषकों के लंबे समय पर संपर्क में रहने से फेफड़े और अन्य अंग कमजोर हो सकते हैं. इलाके में जो स्थिति है, वह कभी-कभी ‘गैस चैम्बर’ की तरह हो जाती है.’ एनजीटी ने एचपीसीएल को 76.5 करोड़ रुपये, बीपीसीएल को 67.5 करोड़ रुपये, एजिस को 142 करोड़ रुपये और एसएलसीएल को 0.2 करोड़ रुपए भुगतान करने का आदेश दिया. एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए के गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि 10 सदस्यीय संयुक्त समिति बहाली कदमों के लिए कार्य योजना तैयार करेगी. सीपीसीबी के दो वरिष्ठ सदस्य, पर्यावरण मंत्रालय, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जिला दंडाधिकारी, नीरी, टीआईएसएस मुंबई, आईआईटी मुंबई, केईएम अस्पताल मुंबई के प्रतिनिधि और महाराष्ट्र के स्वास्थ्य सचिव की ओर से एक व्यक्ति इस समिति में शामिल होंगे. उसने कहा कि इस मामले में राज्य पीसीबी नोडल एजेंसी होगा. संयुक्त समिति इस कार्य में किसी भी अन्य विशेषज्ञ/संस्था की मदद लेने के लिए स्वतंत्र होगी.
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मुंबई में एनजीटी ने 4 कंपनियों पर लगाया 286 करोड़ का जुर्माना