मुंबई, । महाराष्ट्र स्टेट ट्रांसपोर्ट (एसटी) पिछले करीब ५ महीने से कोरोना महामारी के चलते संकट में फंस गई है. आलम यह है कि पहले से ही भारी आर्थिक नुकसान में चल रही एसटी की आर्थिक हालत लॉकडाउन में अत्यधिक खराब हो गई है. स्थिति ऐसी है कि एसटी कर्मचारियों को वेतन देने के लिए राज्य परिवहन महामंडल के पास पैसे नहीं हैं. कोरोना संक्रमण की वजह से राज्य भर में लॉकडाउन की वजह से जिले के बाहर यात्रा प्रतिबंध के कारण एसटी सेवाओं पर गंभीर असर पड़ा है. लॉकडाउन में लगभग 16,000 एसटी बसों का चक्का थम सा गया. बताया गया है कि इस समय भी एसटी का आवागमन मात्र 8 से 10 प्रतिशत हो रहा है. लॉकडाउन के पहले रोजाना एसटी की आय जहां 22-23 करोड़ रुपए थी, वह इस समय घटकर मात्र 45 से 50 लाख रुपए रोजाना हो गई है. लॉकडाउन में एसटी को 3000 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हो गया है. एसटी के तक़रीबन 98 हजार कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं. दो हफ्ता पूर्व राज्य सरकार ने एसटी कर्मचारियों के बकाया वेतन के लिए 500 करोड़ रुपए की मदद घोषित की. हालांकि राज्य सरकार वरिष्ठ नागरिकों, छात्रों, स्वतंत्रता सेनानियों और अन्य लोगों के लिए किराए पर रियायत के लिए एसटी को सालाना 1,800 करोड़ रुपये का भुगतान करती रही है. यह राशि भी सरकार ने नहीं दी है. इसके अलावा लॉकडाउन के दौरान लाखों प्रवासी श्रमिकों को राज्य की सीमा पर छोड़ने का काम एसटी ने किया. इस पर लगभग 80 करोड़ खर्च हुए, जिसका भुगतान भी राज्य सरकार ने नहीं किया है.कोरोना के चलते एसटी को रोजाना 22-23 करोड़ का नुकसान हो रहा है. यात्री किराये से होने वाली आय के विकल्प के तौर पर एसटी ने माल ढुलाई से आय बढ़ाने की पहल की, परन्तु इसमें भी अपेक्षाकृत सफलता नहीं मिली है. माल किराए से एसटी को रोजाना 10 लाख की ही आय हो रही है. लॉकडाउन खुलने के बाद इसे बढ़ाने का प्रयास होगा.
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कोरोना महामारी के चलते एसटी को अबतक ३ हजार करोड़ का नुकसान