नई दिल्ली । मधुमेह से पीड़ित रोगियों को फोन से ही मनोचिकित्सा कॉउंसलिंग देकर उनके शुगर के स्तर एच बीए1एसी और ब्लडप्रेशर के स्तर को काफी कम किया जा सकता है। एम्स के हॉरमोन रोग विभाग के प्रोफेसर के नेतृत्व में हुए शोध में यह खुलासा हुआ है। यह शोध मशहूर अंतरराष्ट्रीय जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन में प्रकाशित हुआ है। इस शोध में दिल्ली, बैंगलोर, चेन्नई और विशाखापत्तनम के 400 मरीजों को शामिल किया गया है। प्रमुख शोधकर्ता और एम्स के हार्मोन रोग विभाग के प्रमुख प्रोफेसर निखिल टण्डन ने बताया कि अनियंत्रित मधुमेह से पीड़ित अधिकतर मरीज जीवनशैली में बदलाव और इस बीमारी के चलते अवसाद से भी ग्रस्त हो जाते हैं। इस शोध में अनियंत्रित मधुमेह से पीड़ित ऐसे लोगों को शामिल किया गया जो अवसादग्रस्त थे। शोध में शामिल 400 मरीजों को 200 प्रत्येक के दो समूहों में बांटा गया। एक समूह को फोन से ही मनोचिकित्सक की मदद से कॉउंसलिंग दी गयी और दूसरे समूह के मरीजों को सिर्फ मधुमेह का इलाज किया गया। दरअसल, इस में तकनीक के जरिए ऐसा प्लेटफॉर्म की मदद ली गयी जिसके जरिये नर्स या अन्य पैरामेडिकल स्टाफ भी डॉक्टर के बिना सिर्फ कुछ सवाल पूछकर मरीजों में अवसाद का पता लगा सकता है। इन सवालों के जरिए यह सॉफ्टवेयर बता सकता है मरीजों में अवसाद का स्तर कितना अधिक है। इसके बाद मनोचिकित्सक की मदद से इसके नतीजे देखे गए जो बिल्कुल सही निकले। प्रोफेसर निखिल टण्डन ने बताया कि कॉउंसलिंग पाने वाले समूह के 70 फीसदी मरीजों में शुगर का स्तर और ब्लड प्रेशर कम पाया गया। इन मरीजों में शुगर का स्तर आधा फीसदी तक कम हो गया था जबकि कॉउंसलिंग नहीं पाने वाले बेहद कम मरीजों में ही शुगर एचबीए1सी और रक्तचाप में कमी दर्ज की गई। इस शोध का फायदा यह है कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की इस ऑनलाइन सॉफ्टवेयर की मदद से पैरामेडिकल स्टाफ कुछ सवाल पूछकर मरीजों में अवसाद का पता लगा सकता है और कम संसाधनों में मरीज को मधुमेह और तनाव दोनों से इलाज किया जा सकता है। प्रोफेसर निखिल टण्डन के मुताबिक बेहद कम संसाधनों में इसके जरिये मरीजों का इलाज किया जा सकता है। मधुमेह के रोगियों को कॉउंसलिंग देकर न सिर्फ उनका अवसाद कम किया जा सकता है बल्कि उनके शुगर और रक्तचाप के स्तर को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है।
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मधुमेह रोगियों में मनोचिकित्सा कॉउंसलिंग कम करती है शुगर और रक्तचाप