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प्रकृति की मूक भाषा को समझाती ‘प्रदूषण मुक्त सांसें’ पुस्तक: प्रदूषण मुक्त सांसें

प्रकृति की मूक भाषा को समझाती ‘प्रदूषण मुक्त सांसें’ पुस्तक: प्रदूषण मुक्त सांसें

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक, समसामयिक, सामाजिक, पर्यावरण विषयों पर विश्लेषणात्मक एवं सृजनात्मक लेख लिखने वाले लेखक श्री योगेश कुमार गोयल की इस वर्ष प्रकाशित पुस्तक “प्रदूषणमुक्तसांसें”इनदिनोंकाफीचर्चामेंहै।इसपुस्तककेपूर्वयोगेशजीकीपांचपुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इस कृति में पर्यावरण प्रदूषण के प्रति लेखक की गहरी चिंता व्यक्त हुई है। पुस्तक में प्रदूषण और पर्यावरण संरक्षण के संबंध में कुल 19 अध्याय दिए गए हैं। पुस्तक का शीर्षक “प्रदूषणमुक्तसांसें”अत्यंतसार्थकहै।लेखकनेइसकिताबमेंअपने तर्कसम्मत विचारों, संदर्भों के साथ उदाहरण भी दिए हैं और तथ्यों के साथ गहरा विश्लेषण भी किया है। पुस्तक को बहुत ही सरल एवं साधारण भाषा में लिखा गया है। 
    योगेश कुमार गोयल के द्वारा लिखी गई यह पुस्तक पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कृति है। यह पुस्तक प्रदूषण की मूल अवधारणाओं को समझाने के साथ पर्यावरण संरक्षण पर महत्वपूर्ण सुझाव देती है। वायु प्रदूषण क्यों बढ़ रहा है, वायु प्रदूषण के क्या दुष्प्रभाव हैं, खेतों में पराली जलाने से होने वाला प्रदूषण, जल संकट क्यों है, जल संरक्षण के कारगर उपाय कौनसे हैं, भूमिगत जल का महत्व, नदी पुनर्जीवन, प्लास्टिक कचरे से होने वाला प्रदूषण, बाढ़ आने के प्रमुख कारण, वृक्ष और जंगल के महत्व, सौर ऊर्जा व पवन ऊर्जा जैसे पर्यावरण हितैषी ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा, ओजोन परत पतली होने की वजह, जंगल में आग लगने के कारण और उसकी रोकथाम के उपाय, जैव विविधता के संकट, जीव-जंतुओं, पक्षियों पर मंडरा रहे खतरे जैसे विविध आयामों पर विस्तृत व्याख्या उक्त पुस्तक में की गई है। साथ ही प्रदूषण को कम करने हेतु पुस्तक में कई मौलिक एवं व्यावहारिक सुझाव भी दिए गए हैं, जिसका फायदा सरकार और नागरिकों द्वारा उठाया जा सकता है।
    पर्यावरण प्रदूषण आज एक भूमण्डलीय समस्या बन गई है। पुस्तक में वर्णित बातें समाज के लिए अमूल्य धरोहर हैं। यह पुस्तक प्रदूषण की विश्वव्यापी ज्वलंत समस्या का गहरा विश्लेषण करते हुए बहुत ही सरल तरीके से इस गंभीर समस्या के कारणों और इनके समाधान के लिए तथ्यों के साथ विवेचन करती है। पुस्तक पर्यावरण से संबंधित तमाम जरूरी पहलुओं पर प्रकाश डालती है। लेखक पर्यावरण के महत्व को बार-बार प्रभावी तरीके से समझाने की कोशिश करते हुए लिखते हैं, ‘‘पर्यावरण संरक्षण के लिए जरूरी है कि हम प्रकृति की मूक भाषा को समझें और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अपना-अपना योगदान दें।’’
    श्री योगेश कुमार गोयल का लेखन बुनियादी सरोकारों का लेखन है। वे पर्यावरण संरक्षण विषय पर गहरी समझ रखते हैं। कुल मिलाकर यह कृति पर्यावरण प्रदूषण और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े मुद्दों की गहन पड़ताल करती है। लेखक ने तथाकथित विकास और प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से पर्यावरण खतरे के प्रति सचेत किया है। इस पुस्तक को लिखने में लेखक ने काफी शोध और मेहनत की है। निसंदेह यह पुस्तक स्थायी महत्व की है। हिन्दी अकादमी दिल्ली के सहयोग से प्रकाशित हुई यह पुस्तक पठनीय ही नहीं, चिंतन-मनन करने योग्य, देश के कर्णधारों को दिशा देती हुई और क्रियान्वयन का आह्वान करती, छात्रों, शोधार्थियों तथा सामान्य नागरिकों के लिए सार्थक और उपयोगी कृति है। आज के प्रदूषित माहौल में यह पुस्तक इतनी अधिक उपयोगी है कि इसे हमारे देश के हर शिक्षित व्यक्ति को पढ़ना चाहिए। 
(लेखक- योगेश कुमार गोयल)

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