नई दिल्ली । अब बिल्डर या प्रमोटर सरकार द्वारा दिए गए लाइसेंस में संलग्न नक्शे पर ही फ्लैट व मकान की बिक्री कर पाएगा। वह अलग से नक्शे बनाकर या फिर सुपर एरिया के नाम पर मनमानी नहीं कर सकेगा। वहीं, कॉमन एरिया के रुपये भी अलग से नहीं लगा पाएगा। हरेरा चेयरमैन डॉ. के.के. खंडेलवाल ने कहा कि हरेरा का 2017 का एक्ट आने के बाद रियल एस्टेट प्रोजेक्ट में दर्शाये गए कारपेट एरिया की ही बिक्री की जा सकती है। सुपर एरिया या प्रेफेंशियल लोकेशन के नाम पर मनमानी नहीं की जा सकती। पहले सुपर एरिया के नाम पर बिल्डरों द्वारा मनमानी की जा रही थी। सुपर एरिया की कोई परिभाषा नहीं है। हर बिल्डर ने अपनी सुविधा अनुसार सुपर एरिया की व्याख्या की हुई थी। डॉ खंडेलवाल ने बताया कि कारपेट एरिया या एफएआर से ज्यादा एरिया बेचने की शिकायतें हरेरा को मिल रही हैं। अथॉरिटी के पास बहुत से केस आए हैं। डॉ खंडेलवाल ने बताया कि बिल्डर के हाउसिंग प्रोजेक्ट में दर्शाये गए एफएआर से ज्यादा एरिया की सेल गैर कानूनी है। सरकार द्वारा उसे दिए गए लाइसेंस में जितना एफएआर स्वीकृत किया गया है, उससे ज्यादा एरिया की बिक्री कोई भी बिल्डर नहीं कर सकता है। डॉ. खंडेलवाल ने कहा कि लोगों की समस्याओं को देखते हुए हरेरा ने सभी रियर एस्टेट प्रोजेक्ट निर्माताओं से यह जानकारी मांगी है कि उनकी सुपर एरिया की गणना किस प्रकार है और उसमें क्या-क्या शामिल किया गया है। उसका आधार क्या है और उस सुपर एरिया को कितनी लागत में बेचा जा रहा है। इसी प्रकार प्रेफेंशियल लोकेशन के बारे में भी हरेरा में रजिस्ट्रेशन के समय पूरी जानकारी ली जा रही है, जैसे कि से एरिया को इस श्रेणी में रखा गया है और उसका क्या रेट होगा।
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गुरुग्राम में सरकारी नक्शे के अनुसार ही बेचे जा सकेंगे फ्लैट और मकान