यदि कोई व्यक्ति 50 वर्ष की उम्र से पहले अधिक वजन का शिकार होता है, तो उसे पेनक्रिएटिक (अग्न्याशय) कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। एक शोध में शोधकर्ताओं ने पाया कि पेनक्रिएटिक कैंसर के मामले कम सामने आते हैं। कैंसर के सभी नए मामलों में से करीब 3 फ़ीसदी मामले अग्न्याशय कैंसर के होते हैं। यह सबसे जानलेवा किस्म का कैंसर होता है। बीते 5 साल में इस बीमारी से जीवित बचने वालों की दर केवल 8.5 फ़ीसदी रही है। अमेरिकन कैंसर सोसायटी में एपिडेमियोलॉजी रिसर्च के वरिष्ठ वैज्ञानिक निदेशक एरिक जे जैकब्स के अनुसार साल 2000 के बाद ही पेनक्रिएटिक कैंसर के मामले धीरे- धीरे बढ़ते जा रहे हैं। शोध टीम द्वारा अमेरिका किए 963317 ऐसे वयस्कों से जुड़े डाटा का परीक्षण किया, जिनका कैंसर का कोई इतिहास नहीं रहा। शोध के शुरुआती समय इन सभी लोगों ने सिर्फ एक बार अपना वजन और लंबाई बताई। इनमें से कुछ लोग 30 वर्ष के थे तो कुछ 70 या 80 साल के भी थे। जिसके बाद शोधकर्ताओं ने ज्यादा वजन के संकेतक के तौर पर बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) की गणना की। शोध में हिस्सा लेने वालों में से 8354 की पेनक्रिएटिक कैंसर से मौत हो गई। परंतु जोखिम में यह बढ़ोतरी उनमें देखी गई जिनके बीएमआई का आगमन शुरुआती आयु से किया था। शोध के नतीजे से पता चलता है कि अत्यधिक वजन से पेनक्रिएटिक कैंसर की चपेट में आने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।