आदि वन्द्य मनोज्ञ गणपति
सिद्धिप्रद गिरिजा सुवन
पाद पंकज वंदना में नाथ
तव शत-शत नमन
व्यक्ति का हो शुद्ध मन
सदभाव नेह विकास हो
लक्ष्य निश्चित पंथ निश्कंटक आत्मप्रकाश हो
हर हृदय आनंद में हो
हर सदन में शांति हो
राष्ट्र को समृद्धि दो हर विश्वव्यापी भ्रांति को
सब जगह बंधुत्व विकसे
आपसी सम्मान हो
सिद्ध की अवधारणा हो
विश्व का कल्याण हो।
(लेखक- प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव विदग्ध )