
लखनऊ । मेरठ में एनसीईआरटी की नकली किताबों की छपाई का भंडाफोड़ हुआ था। यूपी पुलिस और एसटीएफ की जांच में पता चला है कि ड्यूप्लिकेट किताबों की छपाई के बाद इनकी सप्लाई दिल्ली से लेकर पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु सहित कई जगहों पर होती थी। बता दें कि प्रिंटिग प्रेस में अवैध तरीक से छापी जा रही एनसीईआरटी की किताबें मिलीं, जिनकी कीमत करीब 35 करोड़ रुपये है। जांच में किताबों के साथ ही उन सभी दुकानों के नाम और पता लिखे बिल भी मिले हैं। इन किताबों की सप्लाई कई बड़े शहरों में होती थी। इसमें आसनसोल, मुंगेर, दिल्ली, चेन्नै, मदुरै की दुकानों में स्टॉक पहुंचाया जाता था। इसके अलावा जम्मू, सिलिगुड़ी और जामनगर में भी सप्लाई की जाती थी।
एसटीएफ के डीएसपी ब्रजेश सिंह ने बताया,ऑर्डर रजिस्टर के अलावा भी गोदाम से कई सारी चीजें जब्त की गई हैं, जिनमें बैलेंस शीट और कॉल रेकॉर्ड्स वाले कम्प्यूटर्स, इस्तेमाल और बगैर इस्तेमाल की बिल बुक मिली है। मेरठ के पास ही अमरोहा जिले में छापेमारी कर एसटीएफ ने एनसीईआरटी की नकली किताबें जब्त की हैं, जिनकी कीमत 15 करोड़ रुपये की है। अभी तक कुल 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। बरामद की गईं 342 तरह की अलग-अलग किताबें नकली थीं लेकिन किताबों में एनसीईआरटी का वॉटरमार्क असली है।इसके बाद आशंका है कि धोखाधड़ी का कनेक्शन एनसीईआरटी से जुड़ा हो सकता है। एनसीईआरटी की किताब के हर पन्ने पर वॉटरमार्क होता है। नकली किताबों पर भी प्रत्येक पन्ने पर वॉटरमार्क मिला है। एनसीईआरटी विभागीय जांच भी कराएगा कि असली वॉटरमार्क सचिन गुप्ता को कहां से मिला।