दुनिया भर के अधिकांश लोग मक्का से परिचित है। मक्का को लोग सिर्फ अनाज के रूप में ही जानते हैं वहुत कम लोगो को जानकारी है कि मक्का एक औषधि भी हैं। हालाकि आयुवेद के ग्रंथो व भव्य प्रकाश निपंट में मक्का के औषधीय गुण का उल्लेख नही मिलता हैं लेकिन शालिग्राम निघट में मक्का के औषधीय गुण धर्म का उल्लेख मिलता है। मक्का के प्रत्येक भाग का उपयोग विभिन्न रूपों मसलन खाध सामग्री ,औषधि ,सौन्दर्य प्रसाधन इत्यादि में किया जाता हैं। इसके तने का इस्तेमाल मवेशियों के चारे के रूप में किया जाता हैं।
मक्का का वानस्पतिक नाम जिया मेज है।यह ग्रेमिनी कुल का सदस्य है। इसके रासायनिक विश्लेषण से जानकारी मिलती है कि मक्के के दानो में जल,कार्बोहाइड्रेड ,प्रोटीन ,लोहा ,वसा ,नियासीन , फाॅस्फोरस,कैरोटिन तथा कैल्शियम होता है।इनके अलावा अल्बूमिन ,ग्लोबुलिन प्रोलामाइन एवं ग्लुटेलिन नामक प्रोटीन भी इनमें होते है। मक्का में जेन नामक प्रोटीन मुख्य रूप् से पाया जाता है।
दरअसल में मक्के की गिनती प्रधान भोजन के रूप् में नहीं की जाती है। इसकी मुख्य वजह यह है कि इसमें पाये जाने वाला जेन प्रोटीन अपूर्ण प्रोटीन होता है। इसे अपूर्ण प्रोटीन इसलिए कहा जाता है कि इसमें अनेक मूलभूत अमीनो अम्ल मसलन मेथियो-नाइन ,सिस्टाइन, ट्रिप्टोफेन इत्यादि बहुत ही अल्प मा़त्रा में पाये जाते है। ये दीगर बात है कि पौष्टिकता की द्ष्टि से गेहूॅ ,चावल के बाद मक्का का ही स्थान है।
मक्का के भुटृटे खाने के पश्चात अन्य भोजन नहीं करना चाहिए।यदि सहज उपलब्ध हो सके तो एक कप मटृठा पी लेना चाहिए । मटृठा पी लेने से फायदा यह होता है कि भुटृटा आसानी स ेपच जाता है,साथ ही शरीर को ज्यादा लाभ मिलता है।भुटृटे के दाने को जितने बारीक ढंग से चबायेगे उतने लाभ मिलेगे।इसलिए भुटृटे के दाने को खूब चबाकर खाना चाहिए। मक्के की रोटी ,भुजा सेके गये अथवा उबाले गये भुटृटे का अपनी पाचन शक्ति को देखते हुए उचित मात्रा में ही सेवन करना चाहिए ,वरना ये नुकसानदेह हो सकता है क्योंकि इसमें बीज-आवरण मोटे होते है जो आसानी से नहीं पचते हैं।
मक्का के आटे को पानी में घोलकर पीने या इसकी रोटी खाने से रक्त साफ होता है।इससे फायदा यह होता है कि शरीर पर निकलने वाली फोडे -फुसियों में भी कमी आती है। मक्के का आटा हाथों पर रगडने से हाथों की गंदगी दूर हो जाती है साथ-साथ गंध भी समाप्त हो जाती है। मक्के का आटा पानी में घोलकर या फेटकर चेहरे पर मलने से कील ,मुंहासे व झाइयां समाप्त हो जाती हैं। इससे त्वचा में निखार भी आता है।
मक्के के पौधे के कई अवयवों एंव इसके दानों का औषधि के रूप में प्रयोग होता है। मक्का आसानी से हजम हो जाता है बशर्ते की आपका पेट ठीक हो ।इसकी मुख्य वजह यह है कि इसके दोनों में वसा एवं स्टार्च बहुत ही अल्प मात्रा पाए जाते है।दस्त के रोगी को इसके सेवन से परहेज ही करना चाहिए । किन्तु जो व्यक्ति कव्ज रोग से त्रस्त होते है उन्हें मक्का के भुने दाने या मक्का के भुने दाने अथवा मक्के के भुटटे का सेवन करना चाहिए । इसमें वसा की मात्रा कम होती हैइसलिए मक्का कोलेस्ट्राल घटने में सहायक होता हैं। हद्वय रोगी जो अपना कोलेस्ट्राल घटना चाहते है,इसका इस्तेमाल उचित मात्रा में कर सकते हैं।
मक्के की पत्तियां मानव के लिए औषधि की तरह सिद्ध होती हैं। इसकी पत्तियों को पीसकर शर्बत बनाकर पीने से हद्धय रोगों में लाभ मिलता हैं। इसका सेवन तकरीबन 45 दिनों तक करना चाहिए । इसके शर्बत की मात्रा 20 से 50 मिली लीटर होनी चाहिए ।मक्का के पत्त्ेा पीसकर शरीर पर लगाने से खरिश ,फुसियां, पित्त,गंजेपन इत्यादि में लाभ मिलता हैं। माथे एवं शरीर पर लेप करने से सिर दर्द से निजात मिलती है मक्के के पत्ते को मुंह में रखकर चबाने से मुंह की शराब की दुर्गन्ध समाप्त हो जाती है। मक्के के पत्तों का अर्क निकालकर उसमें शक्कर मिलाकर 2 मिली लीटर की मात्रा में पीने से रूका हुआ मासिक स्त्राव खुल जाता है। इसकी मात्रा 2-2मिली लीटर दिन में तीन बार लेनी चाहिएं।
(लेखक- मुकेश तिवारी )
आर्टिकल
मक्का सिर्फ अनाज ही नहीं औषधि भी है