पुणे । पुणे के कुछ चिकित्सकों ने कोरोना संक्रमण काल के बीच खून पतला करने की एक दवा को महामारी के इलाज में प्रभावी बताया है। पुणे के चिकित्सकों ने कुछ ट्रायल्स और मरीजों पर दिखे असर के आधार पर यह दावा किया है कि लो मॉलेक्यूलर वेट हेपारिन नाम की वैक्सीन के द्वारा कोरोना मरीजों की हॉस्पिटलाइजेशन पीरियड को कम करने और उनके प्रभावी इलाज में मदद मिली है। इसके अलावा इससे कई मरीज रिकवर भी हुए हैं। कई मरीजों में सकारात्मक परिणाम दिखने के बाद चिकित्सकों ने इस लेकर मीडिया से बातचीत की। चिकित्सकों ने दावा करते हुए कहा कि सोर्स-सीओवी 2 वायरस के कारण मरीज के शरीर में काउंटर ब्लड इंफ्लेमेशन और ब्लड क्लॉटिंग की समस्या होने लगती है। इन लोगों को रोकने में यह दवा काफी प्रभावी दिख रही है।
पुणे के चिकित्सक सुभल दीक्षित ने दावा कर कहा कि इटली से आई मरीजों की पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट्स में यह साफ हुआ है कि कोरोना के कारण शरीर में छोटे ब्लड क्लॉट्स बन रहे हैं।इसके बाद डॉक्टर्स ने भारत में खून को पतला करने वाली दवाओं का इस्तेमाल करना भी शुरू किया है। गंभीर मरीजों पर दवा का इस्तेमाल कोरोना महामारी की शुरुआत से ही हो रहा है। लेकिन अब बढ़ते केसों के बीच इसका इस्तेमाल भी बढ़ाया गया है।इसके परिणाम भी मिले हैं कि इस दवा का प्रभाव सकारात्मक है। डॉ. दीक्षित ने कहा कि फेफड़े की नसों में ब्लड क्लॉट बनने के कारण ही कई बार सांस लेने में दिक्कतें आती हैं। इसके अलावा हार्ट, ब्रेन और किडनी में ब्लड क्लॉटिंग के कारण ही हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक्स और अक्यूट किडनी इंजरी की दिक्कत आती है।इसके बाद लो मॉलेक्यूलर वेट हेपारिन का इस्तेमाल इन दिक्कतों के इलाज में इफेक्टिव दिखाई दे रहा है, जिसपर और रिसर्च की जा रही है।
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पुणे के चिकित्सकों का दावा, खून पतला करने की दवा कोविड के इलाज में मददगार