पटना । बिहार विधानसभा चुनाव में भले ही अभी समय है पर इसको लेकर सियासी पारा गर्म है। पिछली बार भाजपा का 14 जिलों में सूपड़ा साफ हो गया था। महागठबंधन की ताकत के सामने भाजपा की परंपरागत सीटों पर भी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। शिवहर, किशनगंज, मधेपुरा, सहरसा, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, भागलपुर, मुंगेर, शेखपुरा, भोजपुर, जहानाबाद, अरवल व बक्सर में उसके दिग्गज उम्मीदवार परास्त हो गये थे।
14 जिलों की 61 सीटों पर महागठबंधन की हुई थी जीत-
बिहार के 14 जिलों की 61 सीटों पर महागठबंधन के जदयू, राजद व कांग्रेस के उम्मीदवारों की जीत हुई थी और सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया था। इस बार के चुनाव में एनडीए के निशाने पर राजद व कांग्रेस है। इनमें 31 सीटों पर इन्हीं दो दलों का कब्जा है। कुछ सीटें ऐसी हैं, जहां के विधायक अब सांसद बन चुके हैं। भोजपुर जिले की एक सीट तरारी पर भाकपा-माले को जीत मिली। इस बार के चुनाव में भाजपा अपनी परंपरागत सीटों पर जीत की रणनीति बना रही है। सीटों के बंटवारे में उसे जो भी क्षेत्र मिले, पर इस बार उसके निशाने पर राजद ही होगा।
भाजपा इस बार अपनी खोयी ताकत पाने को बेताब-
भागलपुर में जहां अश्वनि चौबे के बेटे की पराजय हुई थी। वहीं, आरा की सीट पर विस के पूर्व उपाध्यक्ष अमरेंद्र प्रताप सिंह भी चुनाव में पराजित हो गये थे। भाजपा इस बार अपनी खोयी ताकत पाने को बेताब है। जदयू व लोजपा के साथ गठबंधन में राजद की कब्जे वाली सीटों को पाने के लिए रणनीति बन रही है। किशनगंज की सीटों पर जदयू व कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा था।
कोसी में जदयू की हुई थी जीत-
वहीं, कोसी की सीटों पर जदयू की जीत हुई थी। मधेपुरा की चार में तीन सीटें जदयू को व एक सीट सिंहेश्वर राजद की जीत हुई। इसी प्रकार सहरसा जिले की चार सीटों में दो पर जदयू व दो पर राजद का कब्जा रहा। भाजपा के खाते में इन जिलें की एक भी सीटें नहीं आयी। भाजपा को बढ़त चंपारण की सीटों पर मिली थी। जहां की अधिकतर सीटों पर उसके उम्मीदवार जीते थे।
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सरकार में बदलाव की उम्मीद लगाए नेताओं का इंतजार बढ़ा बिहार विस चुनाव में एनडीए के निशाने पर इस बार राजद-कांग्रेस -2015 में भाजपा 14 जिलों में नहीं जीत पाई थी एक भी सीट