गुज़रा ज़माना नहीं, वर्तमान भी होता है बुढ़ापा,
सचमुच में चाहतें , अरमान भी होता है बुढ़ापा ।
केवल पीड़ा, उपेक्षा, दर्द, ग़म ही नहीं,
असीमित, अथाह सम्मान भी होता है बुढ़ापा ।
ज़िन्दगी भर के समेटे हुए क़ीमती अनुभव,
गौरव से तना हुआ आसमान भी होता है बुढ़ापा।
पद, हैसियत, दौलत, रुतबा था भले ही,
पर सहज-सरल, मधुर, आसान भी होता है बुढ़ापा।
बेटा-बहू, बेटी-दामाद, नाती-पोतों के संग,
समृध्द, उन्नत ख़ानदान भी होता है बुढ़ापा ।
मंगलभाव, शुभकामनाएं, आशीष,और दुआएं,
सच में इक पूरा समुन्नत शुभगान भी होता है बुढ़ापा।
घुटन, हताशा, एकाकीपन, अवसाद और मायूसी,
गीली आँखें भरा पतन, अवसान भी होता है बुढ़ापा ।
संगी-साथी, रिश्ते-नाते, अपने-पराये मिल जायें यदि,
तो खुशियों से सराबोर महकता सहगान भी होता है बुढ़ापा।
(लेखक -प्रो.शरद नारायण खरे)