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 बुढ़ापा 

 बुढ़ापा 

गुज़रा ज़माना नहीं, वर्तमान भी होता है बुढ़ापा,
सचमुच में चाहतें , अरमान भी होता है बुढ़ापा ।

केवल पीड़ा, उपेक्षा, दर्द, ग़म ही नहीं,
असीमित, अथाह सम्मान भी होता है बुढ़ापा ।

ज़िन्दगी भर के समेटे हुए क़ीमती अनुभव,
गौरव से तना हुआ आसमान भी होता है बुढ़ापा।

पद, हैसियत, दौलत, रुतबा था भले ही,
पर सहज-सरल, मधुर, आसान भी होता है बुढ़ापा।

बेटा-बहू, बेटी-दामाद, नाती-पोतों के संग,
समृध्द, उन्नत ख़ानदान भी होता है बुढ़ापा ।

मंगलभाव, शुभकामनाएं, आशीष,और दुआएं,
सच में इक पूरा समुन्नत शुभगान भी होता है बुढ़ापा।

घुटन, हताशा, एकाकीपन, अवसाद और मायूसी,
गीली आँखें भरा पतन, अवसान भी होता है बुढ़ापा ।

संगी-साथी, रिश्ते-नाते, अपने-पराये मिल जायें यदि,
तो खुशियों से सराबोर महकता सहगान भी होता है बुढ़ापा।
(लेखक -प्रो.शरद नारायण खरे)
 

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