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हंगामेदार रहा महाराष्ट्र विधानमंडल के २ दिवसीय मानसून सत्र का पहला दिन  - पहली बार अध्यक्ष के बगैर शुरू हुआ ‘मानसून सत्र’ 

हंगामेदार रहा महाराष्ट्र विधानमंडल के २ दिवसीय मानसून सत्र का पहला दिन  - पहली बार अध्यक्ष के बगैर शुरू हुआ ‘मानसून सत्र’ 

मुंबई, । महाराष्ट्र विधानमंडल के 2 दिवसीय मानसून सत्र की हंगामेदार रहा. वहीं विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले के कोरोना संक्रमित होने के कारण पहली बार अध्यक्ष के बगैर विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरि जिरवल की अध्यक्षता में शुरू हुआ. सत्र के पहले दिन यानि सोमवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे के विधानभवन में प्रवेश करते ही बीजेपी विधायकों ने जमकर नारेबाजी की. दरअसल  बीजेपी विधायक मेडिकल में प्रवेश के लिए प्रादेशिक आरक्षण रद्द किए जाने की मांग कर रहे थे. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे के विधानभवन में प्रवेश करते ही मराठवाड़ा के बीजेपी विधायक विधानभवन की सीढ़ी पर खड़े हो नारेबाजी करने लगे. विधायक मेडिकल प्रवेश के लिए प्रादेशिक आरक्षण 70-30 का सूत्र समाप्त करने की मांग कर रहे थे. उपमुख्यमंत्री अजित पवार के विधानभवन में पहुंचते ही एक बार फिर नारेबाजी शुरु हुई. हालांकि पवार ने विधायकों से चर्चा की और सभी ने आंदोलन स्थगित कर दिया. बहरहाल कम अवधि के बावजूद, सत्तारूढ़ पार्टी वित्तीय और कानूनी मामलों को आगे बढ़ाने की भूमिका में रही.  
- कोरोना के साये में मानसून सत्र
कोरोना महामारी की भयावहता को देखते हुए मानसून सत्र मात्र दो दिन रखा गया है.  मानसून सत्र में आने वाले प्रत्येक विधायक को मास्क, फेस शील्ड, सैनिटाइज़र और हैंडग्लोव्स दिया गया और सत्र के दोनों दिन सभी सदस्यों को मास्क, फेस शील्ड, सैनिटाइज़र और हैंडग्लोव्स लगाना अनिवार्य है। 
- सपा ने की राज्य में बिजली बिल माफ करने की मांग 
मानसून सत्र के पहले दिन समाजवादी पार्टी (सपा) ने राज्य में कोरोना की परिस्थिति को देखते हुए बिजली का बिल माफ करने की मांग को लेकर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अबू आसिम आजमी और भिवंडी के विधायक रईस शेख ने विधानभवन परिसर में प्रदर्शन किया. आजमी ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से लोगों के रोजगार छिन गए हैं. कारोबार ठप है, जिससे लोगों की आर्थिक हालात बहुत ही खराब है. ऐसे में बिजली विभाग की तरफ से लोगों को बिजली का ज्यादा बिल भेजे जाने से मुश्किलें और बढ़ गई हैं. इसके साथ ही समाजवादी पार्टी विधायक आजमी और शेख ने कहा कि सरकार ने स्कूल फीस माफ करने की घोषणा की थी.सरकार को चाहिए कि वह निजी स्कूलों को अनुदान देकर उनकी मदद करे. 
 

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