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(चिंतन-मनन) कैंची काटती है, सुई जोड़ती है 

(चिंतन-मनन) कैंची काटती है, सुई जोड़ती है 

कैंची काटती (तोड़ती) है और सुई जोड़ती है। यही कारण है कि तोड़ने वाली कैंची पैर के नीचे पड़ी रहती है और जोड़ने वाली सुई सिर पर स्थान पाती है। इसलिए मनुष्य का यही धर्म है कि इनसान को जोड़े न कि तोड़े। उन्होंने सास-बहू में एका होने का आह्वान भी किया। राष्ट्र संत तरुण सागर महाराज ने कई उदाहरणों के माध्यम से अपनी बातें रखीं। एक पिता अपने छोटे से पुत्र को विश्व का एक नक्शा देता है। फिर उसे टुकड़े-टुकड़े कर पुत्र को जोड़ने के लिए कहता है। पुत्र उस नक्शे को ज्यों का त्यों जोड़ देता है। अपने बेटे की प्रतिभा से आश्चर्यचकित पिता पूछता है कि बेटे तुमने यह असंभव कार्य कैसे कर लिया। बेटा कहता है कि पिताजी, नक्शा के पीछे इनसान बना हुआ था। मैंने इनसान को जोड़ा तो नक्शा भी ज्यों का त्यों जुड़ गया। मुनिश्री ने कहा कि इनसान को जोड़ने से पूरा विश्व एक हो सकता है। हे मानव 36 का आँकड़ा बहुत बना लिए, अब 63 का आँकड़ा बनाइए।  बुजुर्गों के अनुभव का बखान करते हुए मुनिश्री ने कहा कि बुजुर्ग की एक-एक झुर्री पर एक-एक शास्त्र का ज्ञान लिखा होता है। बुजुर्ग की अवहेलना मत करिए। वे जो कह रहे हैं, उसे सुनो। उल्टा जवाब मत दो। जवाब दोगे तो घर का माहौल खराब हो जाएगा। झगड़ा, क्लेश व द्वेष फैलेगा। बुजुर्गों का सम्मान करना सीखो। आज जो बुजुर्गों के साथ करोगे, वहीं तुम्हारे साथ होगा।  
 

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