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क्‍या र‍िया चक्रवर्ती के बहाने ब्राह्मण कार्ड खेल रही हैं ममता बनर्जी? -कांग्रेस भी निकाल चुकी है रिया के समर्थन में बंगाल की सड़कों पर रैली

क्‍या र‍िया चक्रवर्ती के बहाने ब्राह्मण कार्ड खेल रही हैं ममता बनर्जी? -कांग्रेस भी निकाल चुकी है रिया के समर्थन में बंगाल की सड़कों पर रैली

कोलकाता। विधानसभा चुनाव से पहले ममता बनर्जी ने ऐलान किया कि सरकार 8,000 से अधिक ब्राह्मण पुजारियों को 1,000 रुपये मासिक भत्ता और मुफ्त आवास देगी। माना जा रहा है कि ममता का ऐलान बीजेपी के हिंदू विरोधी आरोप का जवाब है, लेकिन सियासी गलियारों में चर्चा यह भी है कि ममता के ब्राह्मणों के प्रति अचानक जगे प्रेम के पीछे कहीं रिया चक्रवर्ती ऐंगल तो नहीं? पश्चिम बंगाल की राजनीति में सुशांत सिंह राजपूत केस में मुख्य आरोपी रिया चक्रवर्ती की भी ऐंट्री हो चुकी है। पश्चिम बंगाल कांग्रेस का अध्यक्ष पद संभालते ही सांसद अधीर रंजन ने रिया को बंगाली ब्राह्मण बताते हुए कहा था कि सुशांत को न्याय की व्याख्या, बिहारी के लिए न्याय की व्याख्या नहीं होनी चाहिए। कांग्रेस ने रिया के समर्थन में बंगाल की सड़क पर उतरकर रैली भी निकाली। कांग्रेस का ऐक्शन देख तृणमूल कांग्रेस भी आगे आ गई और बंगाली अस्मिता का आह्वान करते हुए रिया के खिलाफ अभियान को बीजेपी का बंगालियों पर आसान निशाना बताया। सत्तारुढ़ टीएमसी हो या विपक्षी दल कांग्रेस और सीपीएम सभी ने एक सुर में रिया मामले में बीजेपी की आलोचना की।
 पिछले दिनों मीडिया में रिया का बंगाल कनेक्शन भी सामने आया है। दरअसल पुरुलिया के बाघमुंडी के टुनटूरी गांव में रिया का पैतृक निवास है। उनके दादा श्रीश जमींदार थे, जिन्हें यहां लोग दीवान साहिब कहते थे। उनका परिवार अब यहां नहीं रहता है, लेकिन उनकी जर्जर पैतृक आवास हर साल दुर्गा पूजा पर जगमगाता है। यह घर दुर्गा पूजा महोत्सव का केंद्र है। रिया के पिता इंद्रजीत चक्रवर्ती भारतीय सेना के रिटायर्ड अधिकारी हैं। पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में बंगाली अस्मिता का मुद्दा पहले से ही मुखर हो रहा था और अब इसमें रिया चक्रवर्ती ऐंगल भी जुड़ गया है। ऐसे में रिया के जरिए जब कांग्रेस और सीपीएम ने ब्राह्मण कार्ड की शुरुआत की तो टीएमसी ने एक कदम और आगे बढ़ते हुए राज्य में ब्राह्मण कल्याण के लिए योजनाओं का ऐलान कर दिया। इसके साथ ही ममता ने राज्य में 14वीं शताब्दी मंदिरों के जीर्णोद्धार की पहल भी की। इतना ही नहीं टीएमसी ने अपने हिंदी प्रकोष्ठ की शुरुआत की। यहां भी ब्राह्मण कार्ड चलते हुए ममता ने पूर्व रेल मंत्री और पार्टी के गैर-बंगाली चेहरे दिनेश त्रिवेदी को हिंदी प्रकोष्ठ का चेयरमैन नियुक्त किया।
 

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