देशभर में लोकसभा चुनाव प्रचार की सरगर्मी के बीच भाजपा प्रत्याशियों के पसीने छूट रहे हैं। विंध्य क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशियों को जबरदस्त विरोध झेलना पड़ रहा है। यह सवर्ण, ब्राम्हण बहुल क्षेत्र है। मतदाता भी भाजपा से प्रभावित हैं, लेकिन प्रत्याशियों का विरोध चरम पर है। स्थानीय मतदाताओं का कहना है कि सतना, रीवा, और सीधी लोकसभा सीटों पर भाजपा के लिए जीत आसान नहीं दिख रही, प्रत्याशियों का स्थानीय जनता से जुड़ाव नहीं है। नेताओं का जमीनी आधार नहीं है। जीत की जुगत बिठाने के लिए प्रत्याशियों ने समाधान निकाला है। अब उन्हें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी ही उनका बेड़ापार लगा सकते हैं। प्रत्याशियों ने प्रचार वाहनों पर अपने फोटो के स्थान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फोटो लगाया है। वहीं, नारे और स्लोगन में सिर्फ और सिर्फ मोदी-मोदी ही चल रहा है। सरकार की योजनाओं का बखान किया जा रहा है।
कहां-कहां संकट में प्रत्याशी
सतना : गणेश सिंह से जनता नाराज
सतना लोकसभा सीट से तीसरी बार सांसद गणेश सिंह को भाजपा ने चौंथी बार टिकट दिया है। पिछले बार गंभीर विरोध झेलने वाले गणेश सिंह मोदी लहर में चुनाव जीत गए थे। तब मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार भी थी, जिसका लाभ उन्हें मिला। लेकिन वर्तमान में हालात अलग हैं। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है। मोदी लहर कहीं नहीं दिख रही है। ऐसे में गणेश सिंह की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सतना से लेकर चित्रकूट तक चल रहे प्रचार वाहनों से गणेश सिंह गायब हैं। वाहनों में मोदी के नाम के मोदी का फोटो एवं नारे ही चल रहे हैं। मतदाताओं में गणेश सिंह को लेकर रोष है। संसदीय क्षेत्र के मतदाता कहते हैं कि गणेश सिंह में घमंड आ गया है।
सीधी में रीति के से नहीं अब प्रीति
सर्वणों पर दिये बयान से नाराज मतदाता
1998 से सीधी सीट पर भाजपा का कब्जा रहा है। वर्तमान सांसद रीति पाठक पर पार्टी ने दोबारा विश्वास जताया है। सीधी के मतदाताओं का मत है कि रीति पाठक के प्रति सवर्ण सख्त रुख अपनाए बैठे हैं। गौरतलब है कि एससी/एसटी एक्ट में हुए नए संशोधनों के समय रीति के प्रति विरोध जता रहे लोगों से कहा था कि 'तो काट दो ना मेरा सिर..लाओ ना यार तलवार तुम राजपूत हो तलवार होगी आपके पास निकालकर लाओ ना काट दो। इस बयान का सवर्णों ने कड़ा विरोध जताया था। अब रीति के सामने चुनावी मैदान में पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह हैं। कांग्रेस के पूर्व कद्दावर नेता अर्जुन सिंह के बेटे अजय पूरे दमखम से मैदान में हैं। ऐसे में रीति के प्रचार वाहनों में अपने नाम के बजाय प्रधानमंत्री मोदी के नारे और फोटो ज्यादा जगह पा रही है, मतदाता मोदी के नाम पर कमल के बटन को दबा दे तो दबा दे। रीति के नाम पर वोट तो मिलेगा नहीं।
नेशन
मोदी के नाम पर बेड़ा पार की आस-प्रत्याशियों का नहीं जनाधार