अगले दो सालों में देश के अंदर सॉफ्टड्रिंक की खपत काफी अधिक बढ़ जाएगी। इस खपत में बोतल बंद जूस और पानी का भी योगदान रहेगा। 2016 में खपत करीब 44 बोतल की थी। एक रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है। पेप्सीको इंडिया की बॉटलिंग पार्टनर वरुण ब्रीवरेजेस की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक अगले दो सालों में शहरों व गांवों में डिमांड का अंतर काफी कम हो जाएगा। शहरों के अलावा अब गांवों में भी बोतलबंद सॉफ्टड्रिंक की ब्रिकी काफी बढ़ गई है। इसके साथ ही लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होने से डिब्बाबंद जूस की बिक्री में भी इजाफा देखने को मिला है। इससे सालाना खपत 84 बोतल की होने की जताई जा रही है।
सामान्य नाश्ते में भी इसकी डिमांड बढ़ रही है। मीटिंग या सामाजिक आयोजनों में भी जूस की खपत पहले की तुलना में काफी बढ़ी है। लोग नाश्ते की टेबल पर जूस लेने को ज्यादा अच्छा मानते हैं। इसमें भी खासतौर पर नींबू, संतरे, मौसमी से बने जूस की बिक्री में इजाफा देखने को मिला है। देश में डिमांड बढ़ने के पांच प्रमुख कारण सामने आए हैं। पहला मध्यम वर्ग की आबादी का बढ़ना, दूसरा लोगों की खरीदने की क्षमता में बढ़ोत्तरी होना, तीसरा शहरीकरण में तेजी, चौथा गांवों में बिजली की बेहतर स्थिति और पांचवा छोटे साइज में भी उत्पादों का मिलना। लोगों में खराब पानी के कारण होने वाली गंभीर बीमारियों के प्रति जागरूकता बढ़ने से बोतल बंद पानी वाले कैटेगरी की ग्रोथ तेज रहेगी। शहरी क्षेत्रों में पेय जल का अभाव भी इसे तेजी देगा।
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दो सालों में देश में बढ़ जाएगी सॉफ्टड्रिंक की खपत : रिपोर्ट - जूस की खपत में भी होगी बढ़ोत्तरी