आजकल की लाइफस्टाइल में 35 के बाद पिता बनने में मुश्किलें आने लगती हैं। अगर आप 35 या 40 की उम्र में पिता बन भी जाएं लेकिन इसके साइड इफेक्ट्स आपके बच्चे में दिखाई दे सकते हैं। इसकी कई वजहे हैं। दरअसल महिलाओं को उम्रभर जितने भी एग्स की जरूरत होती है वह उनके साथ ही पैदा होती हैं वहीं पुरुषों में स्पर्म का निर्माण होता रहता है। वॉशिंगटन की एक यूनिवर्सिटी के अनुसार हर बार दिल धड़कने के साथ पुरुष 1000 स्पर्म पैदा करते हैं, हालांकि सारे स्पर्म एग फर्टिलाइज कर बच्चा पैदा करने के काम नहीं आते। ये एजैकुलेशन में निकल जाते हैं या कुछ वक्त के साथ अपने आप ही नष्ट हो जाते हैं। वहीं उम्र बढ़ने के साथ आपके स्पर्म की क्वॉलिटी पर असर पड़ता है। 40 या 50 की उम्र में भी आप उतने ही स्पर्म प्रड्यूस कर सकते हैं जितने कि 25 या 30 में करते थे लेकिन उम्र के साथ स्पर्म की क्वॉलिटी में फर्क आ जाता है।उम्र बढ़ने के साथ स्पर्म का शेप और इनकी मोबिलिटी घट जाती है लिहाजा फर्टिलाइजेशन की प्रॉसेस में दिक्कत आती है। 40 की उम्र तक आते-आते टेस्टोस्टेरॉन लेवल घटने लगता है। इससे सेक्स के प्रति इच्छा घट जाती है जिससे आप रेग्युलर सेक्स नहीं कर पाते। इतना ही नहीं उम्र बढ़ने के साथ स्पर्म में म्यूटेशन के चलते होने वाले बच्चे में कई तरह की जेनेटिक प्रॉब्लम्स भी हो सकती हैं। अगर आपकी उम्र 40 से ज्यादा है तो बच्चे में डाउन सिंड्रोम, ऑटिजम, टाइप 1 डायबीटीज और स्किट्सफ्रीनिया जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। महिलाओं में मेनोपॉज की एक उम्र होती है लेकिन पुरुष ताउम्र बच्चे पैदा कर सकते हैं। शायद यही वजह है कि ज्यादातर पुरुष देर से पिता बनने में गुरेज नहीं कर रहे। आपको 70 साल की उम्र में भी पिता बनने के उदाहरण मिल जाएंगे।