उल्लेखनीय है कि राफेल दो इंजन वाला लड़ाकू विमान है जो भारतीय वायुसेना की पहली पंसद है, और इसे किसी भी मिशन पर भेजा जा सकता है। इस विमान की बड़ी विशेषता यह है कि 1 मिनट में 60 हजार फिट की ऊँचाई तक जा सकता है। इसकी मारक क्षमता 3700 कि.मी. तक है। यह 24500 किलोग्राम तक भार उठा कर ले जाने में सक्षम है। यह फाइटर जेट हवा से हवा और हवा से जमीन में मार करने में सक्षम है। यह परमाणु हमला भी उतनी ही तेजी से करता है जितनी तेजी से सामान्य बमबारी। यह हवा से हवा में 150 कि.मी. तक मिसाइल दाग सकता है और हवा से जमीन तक इसकी मारक क्षमता 300 कि.मी. है। इसकी अधिकतम रप्तार 2200 से 2500 कि.मी. प्रति घण्टा है। यह एक मिनट में 2500 राउण्ड फायरिंग कर सकता है। ये एक साथ कई लक्ष्यों में निशाना लगाने में सक्षम है। यह हर मौसम में लाई कर सकता है, जबकि चीनी लड़ाकू विमान इस मामले में बहुत पीछे हैं, इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह तीन घातक मिसाइलों से लैस है। जिसमें हैमर मिसाइल भारत ने अपनी जरूरत के हिसाब से लगवाई है। इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से बंकरो को तबाह करने के लिए किया जाता है। लद्दाख की पहाड़ियों में ये मिसाइल काफी मददगार साबित होगी। दूसरी मेटयोर मिसाइल है जो हवा से हवा में मार करने वाली दुनिया की सबसे घातक मिसाइल है जिसकी रेंज 150 कि.मी. है। ऐसी मिसाइल चीन के पास भी नहीं है। तीसरी स्केल्प मिसाइल है, यह हवा से सतह में वार करने वाली मिसाइल है, इसका निशाना एकदम सटीक है। राफेल विमान को स्कैल्प मिसाइल ही अजेय बनाती है। बड़ी बात यह कि राफेल पाकिस्तान के एफ-16 से ही नहीं चीन के जे-20 से भी ज्यादा घातक और आधुनिकतम टेक्नालाजी से लैस है। इसमें लगे राडार दुश्मन के विमान को 220 कि.मी. से ही देख लेंगे जबकि एफ-16 और जे-20 की क्षमता इससे कम है। ऐसी स्थिति में यह पहले ही शत्रु के विमान को निशाना बनाने में सक्षम होगा। ये विमान 5 अगस्त को औपचारिक रूप से गोल्डेन एरो स्ववॉडन में शामिल हो गये है, जिसमें 18 अम्बाला एयरवेज में रहकर पाकिस्तान और लद्दाख से लगे चीनी क्षेत्र में नजर रखेंगे और 18 पूर्वेत्तर के हाशीमारा एयरवेज पर रखे जाएंगे जो वहां से चीन पर निगरानी करेंगे।
यह बात लोगो की स्मृति में अच्छी तरह याददास्त में होगी, कि वर्ष 2016 में मोदी सरकार ने जैसे ही 36 राफेल विमानों को खरीदने का अनुबंध फ्रांस सरकार से किया। वैसे ही कांग्रेस पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने मोदी सरकार के विरूद्ध कुछ ऐसा हंगामा मचाना शुरू किया जैसे मोदी सरकार ने इस रक्षा सौदे में भारी गड़बड़ी की है। जैसे कि प्रधानमंत्री अचानक फ्रांस चले गए और रक्षामंत्री को बिना बताए ही राफेल सौदे पर हस्ताक्षर कर दिए। जबकि हकीकत में राफेल खरीदी को लेकर वर्ष 2015 से ही बात चल रही थी जिसमें रक्षा मंत्रालय और वायुसेना दोनो ही शामिल थे। आगे चलकर राहुल गांधी ने पुन: कहा कि रक्षा मंत्रालय के तत्कालीन संयुक्त सचिव राजीव वर्मा ने राफेल सौदे पर आपत्ति उठाई थी, यहाँ तक कि इस सौदे के विरोध में छुट्टी में चले गए थे। तब राजीव वर्मा को मीडिया के समक्ष आकर इस बात का खण्ड करना पड़ा था। बड़ी हकीकत यह कि राजीव वर्मा ने ही राफेल सौदे को तय करने वाला नोट लिखा था। सौदा होते ही शुरूआत में राहुल गांधी ने यह भी कहा था कि फ्रांस के राष्ट्रपति ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से बताया है कि फ्रांस की तरफ से राफेल चौदे को गुप्त रखने के लिए कोई शर्त नहीं जोड़ी गई है। इसके तुरन्त बाद फ्रांस सरकार की तरफ से यह खण्डन आ गया कि फ्रांस के राष्ट्रपति ने ऐसा कुछ नहीं कहा है और फ्रांस ने राफेल सौदे को गुप्ता रखने की शर्त शुरू से रखी है। पुन: राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने भारत के रक्षा उपक्रम एच.ए.एल. को दसाल्ट के साथ साझेदारी नहीं करने दी और फ्रांस पर दबाव बनाया कि वह अंबानी की रिलायंस रक्षा कम्पनी के साथ साझेदारी करे। जबकि इस बात का स्पष्ट खण्डन करते हुए तत्कालीन वायुसेवा प्रमुख बी.एस. धनौआ ने स्पष्ट किया था कि रिलायंस कम्पनी को चुनने का फैसला दसाल्ट का था (राफेल बनाने वाली कम्पनी)। उन्होंने यह तथ्य भी उजाकर किया था जहाँ तक विमानो के निर्माण की बात है, एच.ए.एल. काफी पीछे है। दूसरे राफेल निर्माण के लिए एच.एल. द्वारा ऊँची कीमते दी गई थीं, जिसके लिए दसाल्ट सहमत नहीं था। धनौआ ने उसी समय बता दिया था कि चीन और पाकिस्तान के द्वारा एक साथ युद्ध करने पर भी ये विमान भारत को बढ़त दिलाएंगे। सच्चाई यह कि यदि यूपीए सरकार के दौर में राफेल विमानों का सौदा हो जाता तो पहली खेप 2017 में मिलती जिसमें 4 प्रतिशत मुद्रा स्फीति और चक्रविधि ब्याज जोड़ने पर राफेल की कीमत 700 करोड़ होती, पर मोदी सरकार ने जो सौदा किए उसमें एक राफेल की कीमत 610 करोड़ ही है। वस्तुत: इस विमान पर लगने वाली मिसाइलों, परमाणु बम दागने की क्षमता और विशेष सुरक्षा प्रणालियों के चलते इस विमान की कीमत में 1000 करोड़ रूपये का इजाफा हो गया है। साथ ही इस विमान को विशेष रूप से भारतीय मौसम और परिस्थितियों के अनुसार ढ़ाला गया है। चीन से युद्ध होने पर इसे दुनिया के सबसे विशाल पर्वतमाला हिमालय से ऊपर उड़ने में सक्षम बनाने के लिए बहुत मंहगी तकनीक का उपयोग किया गया है। निसंदेह राफेल विमानों के भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल होने से भारतीय वायुसेना के लिए युगांतरकारी दौर जैसा है। इसके साथ ही जैसा कि कह जा रहा है कि भारत-अमेरिका एफ-15म्ग फाइटर विमान भी लेने जा रहा है तो पाकिस्तान तो दूर चीन भी भारत के समक्ष कही टिकने वाला है नहीं।
(लेखक- वीरेन्द्र सिंह परिहार )
आर्टिकल
राफेल के भारतीय हवाई बेड़े में शामिल होने पर