नई दिल्ली । नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक कैग ने संसद में एक रिपोर्ट पेश की है जिसमें कहा गया है कि राजधानी में दिल्ली पुलिस की ओर से लगाए गए 3,870 सीसीटीवी कैमरों में से संतोषजनक काम कर रहे कैमरों की संख्या 'बेहद कम' है। संसद में पेश की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत 2019 में पंजीकृत अपराधों की संख्या 2013 के मुकाबले 275 फीसदी तक बढ़ गई है। हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बारे में दिल्ली पुलिस ने स्वीकार किया कि अपराधों को दर्ज कराने की संख्या में व्यापक बढ़ोतरी और ई-एफआईआर दर्ज करने की सुविधा से आंकड़ें बढ़े हैं। कैग की रिपोर्ट 'दिल्ली पुलिस में श्रमबल और साजो-समान प्रबंधन' से सामने आए तथ्यों के अनुसार दिल्ली पुलिस ने शहर भर में सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण स्थानों पर 3,870 सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि संतोषजनक काम कर रहे कैमरों की संख्या बेहद कम है, (प्रायोगिक चरण) वाले 31 फीसदी कैमरे जबकि अन्य चरण वाले 44 फीसदी तक कैमरे बेकार हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि दिल्ली पुलिस 20 साल पुरानी ट्रंकिंग प्रणाली एपीसीओ का इस्तेमाल कर रही है, इनकी कार्य सीमा 10 वर्ष की है जिसे बीते हुए 10 साल हो चुके हैं। ट्रंकिंग प्रणाली ऐसी रेडियो संचार प्रणाली है, जिसमें दो तरफ से संपर्क हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वायरलेस सेट को अपडेट करने के लिए 10 साल पहले ही प्रस्ताव रखे गए थे, लेकिन अब तक टेंडर पर अंतिम फैसला नहीं लिया जा सका है। पारंपरिक प्रणाली के तहत आने वाले वायरलेस सेट की संख्या जून 2000 के 9,638 के मुकाबले जून,2019 में घटकर 6,172 रह रह गई है क्योंकि इस अवधि में जो सेट खराब हुए थे, उन्हें नियमित तौर पर नहीं बदला गया। CAG की रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि श्रम बल की कमी की वजह से भी दिल्ली पुलिस के काम-काज पर असर पड़ रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 12,518 पदों को मंजूरी देते हुए सलाह दी थी कि पहले 3,139 पदों को भरकर काम शुरू किया जाए और इन कर्मियों की जमीन पर तैनाती के बाद 9,379 पदों पर भर्ती की जाए, लेकिन दिल्ली पुलिस 3,139 पदों पर भर्तियां करने में असफल रही जिसकी वजह से 9,379 मंजूरी पदों के लिए भी कार्य आगे नहीं बढ़ सका।