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 दिल्ली की तीनों नगर निगमों को एक करने की फिर उठी मांग

 दिल्ली की तीनों नगर निगमों को एक करने की फिर उठी मांग

नई दिल्ली । आर्थिक तंगी से जूझ रहे तीनों नगर निगमों के एकीकरण की मांग फिर से तेज होने लगी है। इस बार पहल कन्फेडरेशन ऑफ एमसीडी एंपलाइज यूनियंस ने की है। उसने इस संबंध में गृह मंत्रालय और दिल्ली सरकार को पत्र लिखा है तथा इस मुद्दे पर गंभीरतापूर्वक विचार का आग्रह किया है। उसके मुताबिक लंबे समय से वेतन और पेंशन न मिलने से हजारों कर्मचारी व उनका परिवार काफी दिक्कतों से गुजर रहा है। उत्तरी नगर निगम में पांच महीने से कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है। इसमें डॉक्टर, शिक्षक, नर्सिग स्टाफ व सफाई कर्मचारी समेत अन्य हैं। गौरतलब है कि वर्ष 2011 में दिल्ली नगर निगम को तीन भागों में बांटने का फैसला लिया गया था। इसके बाद वर्ष 2012 में दिल्ली नगर निगम को पूर्वी, उत्तरी और दक्षिणी निगम में बांट दिया गया था। हालांकि, विभाजन के बाद से तीनों नगर निगमों में फंड को लेकर समस्या देखने को मिलती है। अब कमोबेश तीनों नगर निगम आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं। ऐसे में इसके फिर से एकीकरण की मांग भी होती रहती है। कर्मचारियों ने पत्र में पांच मांगों को प्रमुखता से रखा है। इसमें तीनों निगमों को एक करने की मांग प्रमुख है। इसके अलावा तीनों निगमों के वित्त विभाग को एक करने व नगर निगम को दिल्ली सरकार या केंद्र सरकार के सीधे अधीन लाने की मांग भी है। वहीं, पांचवी मांग में केंद्र की ओर से सीधे उत्तरी निगम को फंड देने की बात की गई है। इस संबंध में उत्तरी निगम के महापौर जयप्रकाश ने कहा कि यदि तीनों निगमों को एक करने से कर्मचारियों और लोगों का लाभ होता है तो सरकार को यह फैसला करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार से निगम को 1200 करोड़ रुपये की अनुदान राशि लेनी है, लेकिन यह राशि कई बार मांगने के बावजूद नहीं मिल सकी है। यही वजह है कि दिल्ली सरकार ने निगमों को पंगु बनाने का काम किया है उत्तरी निगम के मुख्यालय सिविक सेंटर में इन दिनों निगम कर्मचारी वेतन की मांग को लेकर अपने विभागों के बाहर पोस्टर लगाकर काम कर रहे हैं। लंबे समय से वेतन न मिलने के कारण कर्मचारियों ने प्रशासन के प्रति विरोध जताने के लिए यह रुख अपनाया है। कर्मचारियों ने पोस्टर में वेतन की मांग को लेकर 'कोरोना काल, कर्मचारी बेहाल' आदि नारे लिखे हुए हैं। इस संबंध में एक कर्मचारी का कहना है कि पांच महीने से वेतन नहीं मिला है। इस वजह से अब घर चलाना और भी मुश्किल हो गया है। इस संबंध में कई बार प्रशासन से गुहार लगाई, लेकिन अभी तक वेतन नहीं मिला है। यही वजह है कि प्रशासन के प्रति विरोध जताने के लिए कर्मचारियों ने यह रुख अपनाया है।
 

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