नई दिल्ली । राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा एक रिपोर्ट के अनुसार 2019 में अनूसूचित जाति के खिलाफ होने वाले सभी अपराधों में उत्तरप्रदेश एक-चौथाई अपराधों के लिए जिम्मेदार था और पूरे भारत में वे मामलें जिनमें जाति शामिल थी वो 94 प्रतिशत थे। रिपोर्ट में अनूसूचित जाति के लोगों के खिलाफ 45,852 अपराध दर्ज किए गए यानी हर 12 मिनट में एक अपराध। 2019 में पूरे भारत में, पिछले साल के मुकाबले 7.3 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। हाथरस में 19 साल की एक दलित लड़की के साथ बलात्कार किया गया और पुलिस न जबरन उस लड़की का अंतिम संस्कार भी कर दिया। बलात्कार और हत्या के इस कांड से लोगों में आक्रोश बहुत बढ़ गया है। दलितों के साथ होने वाले अपराधों में उत्तर प्रदेश (11,829) में सबसे ज्यादा मामले सामने आए। इसके बाद राजस्थान (6,794) और बिहार (6,544) का नंबर आता है। सूची में अगले दो राज्य मध्य प्रदेश (5,300) और महाराष्ट्र (2,150) हैं। इन शीर्ष पांच राज्यों में अनुसूचित जातियों के खिलाफ अत्याचार के 71 प्रतिशत मामलों का हिसाब है। जिन मामलों में पीड़ित एससी थे, उनमें पेंडेंसी दर राष्ट्रीय पेंडेंसी दर 88.9 प्रतिशत से काफी अधिक थी। 2019 में, 204,191 मामले ऐसे थे जो अनूसूचित जाति से जुड़े थे और जो भारत में ट्रायल के लिए थे और केवल 6 प्रतिशत यानी 12,498 मुकदमे ऐसे थे जो पूरे हुए। इसमें से केवल 32% मामलों में दोषसिद्धि हुई और 59 प्रतिशत बरी हो गए। अनूसूचित जाति के खिलाफ अपराधों पर पंजीकृत मामलों में से 10 प्रतिशत से कम मामले झूठे पाए गए। कार्यकर्ताओं ने कहा कि आंकड़े एससी की भेद्यता की ओर इशारा करते हैं। दलित मानवाधिकार आयोग के राष्ट्रीय आयोग की बेना पल्लीकल पूछती हैं, “हर दिन इस देश में नौ दलित महिलाओं के साथ बलात्कार होता है, यह इस देश में कुल अराजकता को दर्शाता है! हाथरस मामले में, यहां तक कि मृत्यु में, उसका सम्मानजनक तरीके से इलाज नहीं किया गया था! हम ऐसे राज्य से क्या उम्मीद कर सकते हैं। जिसमें दलितों के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध हैं कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव के एक वरिष्ठ अधिकारी राजा बग्गा ने बताया कि पुलिस ने राष्ट्रीय स्तर पर अनूसूचित जाति के खिलाफ अपराधों के 78 प्रतिशत मामलों में आरोप पत्र दायर किए हैं।
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उत्तर प्रदेश में दलितों के साथ होते हैं सबसे ज्यादा अपराध