नई दिल्ली । यूपी का हाथरस केस लगातार तीन दिन से सुर्खियों में है। पीड़िता की मौत के बाद इसे इस मामले में सियासत तेज हो गई है। बताया जा रहा है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी है। सूत्रों के मुताबिक हाथरस के डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार और एसपी विक्रांत वीर पर कार्रवाई भी हो सकती है इससे पहले मुख्यमंत्री ने खुद ट्वीट कर कहा कि उत्तर प्रदेश में माताओं-बहनों के सम्मान-स्वाभिमान को क्षति पहुंचाने का विचार मात्र रखने वालों का समूल नाश सुनिश्चित है। इन्हें ऐसा दंड मिलेगा जो भविष्य में उदाहरण प्रस्तुत करेगा। आपकी यूपी सरकार प्रत्येक माता-बहन की सुरक्षा व विकास हेतु संकल्पबद्ध है। यह हमारा संकल्प है-वचन है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में हाथरस डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार पीड़िता के पिता से बात करते हुए दिख रहे हैं। वे कह रहे हैं कि आप अपनी विश्वसनीयता खत्म मत करो। ये मीडिया वाले, मैं आपको बता दूं, आधे चले गए और आधे कल चले जाएंगे। हम आपके साथ खड़े हैं। ये आपकी इच्छा है कि आपको बार-बार बयान बदलना है कि नहीं बदलना है। हाथरस मामले में पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया है कि उन्हें किसी भी कीमत पर मीडिया से मिलने नहीं दिया जा रहा है। प्रशासन ने पीड़िता के गांव में पहले से ही धारा 144 लगा दी है। पीड़ित परिवार ने एक नाबालिग बच्चे को किसी भी तरह मीडिया से संपर्क करने के लिए भेजा। बच्चे ने बताया कि हमारे कुछ मोबाइल फोन ले लिए गए हैं और हमें मोबाइल को स्विच ऑफ करने के लिए कहा गया है। गांव में धारा 144 लगे होने के कारण पीड़ित परिवार के लोग आज खेतों को पार कर मीडिया से बात करने के लिए अपने गांव से बाहर पहुंचे थे। नाबालिग बच्चे ने बताया कि हमारा फोन ले लिया गया है। मेरे परिवार के लोगों ने बात करने के लिए मीडिया वालों को बुलाने के लिए यहां भेजा है। मैं प्रशासन को चकमा देते हुए यहां खेतों के रास्ते से आया हूं। वे लोग न तो हमें बाहर आने दे रहे हैं और न ही मीडिया वालों को अंदर आने दे रहे हैं। नाबालिग ने कहा कि हमलोगों को धमकाया जा रहा है। ये बातें जब बच्चा कह रहा था तभी एक पुलिस वाला आ गया और उसे देखकर वह फरार हो गया। पश्चिम पंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने भी पीड़ित परिवार के पास पहुंचने की कोशिश की। हालांकि, पुलिस ने उन्हें गांव के बाहर रोक दिया। गांव से करीब एक किलोमीटर पहले सख्त पहरा बैठाकर आम लोगों व मीडिया को गांव से दूर रखा गया। सुबह से प्रदर्शनकारी, पीड़ित परिवार को सांत्वना देने आने वाले लोगों को एक कदम भी बढ़ने नहीं दिया गया। निर्भया का केस लड़ने वाली अधिवक्ता सीमा कुशवाहा पीड़ित परिवार से मिलने बूलगढ़ी जाना चाहती थीं। उन्हें गांव के मोड़ पर चंदपा के पास पुलिस प्रशासन ने रोक दिया। रोक की वजह न बता पाने पर एडीएम से उनकी बहस हुई। एडीएम पर सीमा कुशवाहा ने तीखी नाराजगी जताई।
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डीएम और एसपी पर हो सकती है कार्रवाई सीएम याेगी ने मांगी रिपोर्ट