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 एनडीए से लोजपा के अलग होने से  किसे मिलेगा फायदा किसे होगा नुकसान

 एनडीए से लोजपा के अलग होने से  किसे मिलेगा फायदा किसे होगा नुकसान

नई दिल्ली । बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए के अंदर कई दिनों से जारी टकराव आखिरकार लोजपा के अलग होने की घोषणा के साथ ही लगभग खत्म हो गया है। इसके साथ ही लोजपा ने बिहार चुनाव में अपने बूते 143 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी की है। ऐसा पहली बार होगा जब वर्ष 2000 में अस्तित्व में आई लोजपा बिहार में अपने बूते अकेले चुनाव लड़ने जा रही है। सीटों के तालमेल नहीं बैठने से लोजपा ने एनडीए से अलग होने का फैसला किया। हालांकि लोजपा ने यह भी साफ किया है कि वह जहां भाजपा के उम्मीदवार होंगे, वहां अपना प्रत्याशी खड़ा नहीं करेगी। अगर ऐसा हुआ तो इस साफ मतलब होगा कि लोजपा और भाजपा में आपसी सहमति बन गई है। ऐसे में जदयू निशाने पर होगा। दूसरी ओर, भाजपा को जदयू और लोजपा दोनों का लाभ मिलेगा। एनडीए से अलग होने की तैयारी लोजपा ने लगभग एक माह पहले ही कर ली थी जब वो एनडीए घटक दल का हिस्सा होते हुए जदयू पर विभिन्न मुद्दों पर हमलावर हो गई। कोरोना संक्रमण, बेरोजगारी, समेत कई मुद्दों पर लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान ने जद यू अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को निशाने पर ले रखा था। इन सबके बीच भाजपा ने एकदम से चुप्पी साध रखी थी। हालांकि भाजपा ने यह साफ कर दिया था कि बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही बिहार विधानसभा में एनडीए उतरेगा। हाल ही में नीतीश कुमार ने हम को एनडीए में शामिल कर लोजपा की काट के तौर मांझी को तैयार किया है। इसके अलावा पार्टी नेता अशोक चौधरी को पार्टी का उपाध्यक्ष बनाकर दलितों को साधने की कोशिश की। दरअसल लोजपा का दलितों में आधार माना जाता है और लोजपा के हमले के बाद से ही जदयू उसकी काट खोज रहा था। इसके बाद ही हम और अशोक चौधरी को पार्टी ने आगे खड़ा किया। एलजेपी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी योजना में भ्रष्टाचार के आरोप लगाये थे। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल ने बिहार सरकार की सात निश्चय योजना को फेल करार दिया। बता दें कि यह नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी योजना है और वे इसका बखान हर जगह करते हैं। वहीं श्रवण अग्रवाल ने कहा कि सात निश्चय योजना पार्ट वन में भ्रष्टाचार हुआ है।
 

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