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श्रीलंका में सुरक्षा बलों ने आतंक विरोधी ऑपरेशन शुरू किया, अमेरिका दे रहा जांच में सहयोग

श्रीलंका में सुरक्षा बलों ने आतंक विरोधी ऑपरेशन शुरू किया, अमेरिका दे रहा जांच में सहयोग

सिलसिलेवार बम धमाकों को लेकर श्रीलंका अब गुनहगारों को पकड़ने और उन्हें सजा दिलाने के प्रयास में जुट गया है। श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने बताया बम धमाकों के दोषियों की पहचान के लिए जांच में अच्छी प्रगति हुई है। उन्होंने कहा अमेरिका समेत कई देश इस काम में मदद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जांच एजेंसियां जल्दी ही इस पूरे षड़यंत्र का खुलासा कर देंगी। हमलावरों के बारे में कई अहम जानकारियां सामने आईं है। 
दो हमलावर मुस्लिम भाई थे और एक हमलावर का सीसीटीवी फुटेज भी सामने आ गया है, जिसमें वह पीठ पर बैग लिए चर्च में घुसते दिखाई देता है। आपको बता दें कि देश में आपातकाल लागू होने के बाद सुरक्षाबलों को पूरी छूट मिल गई है और उन्होंने आतंक विरोधी ऑपरेशन शुरू कर दिया है। विक्रमसिंघे ने कहा हो सकता है कि ईस्टर संडे के दिन किए धमाके न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च हमले के कारण किए गए हों लेकिन अभी ऐसा स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता। आपको बता दें कि क्राइस्टचर्च अटैक में 2 मस्जिदों में की गई अंधाधुंध गोलीबारी में 50 लोगों की मौत हो गई थी। 
उधर, श्रीलंका धमाकों में मरने वाली की संख्या मंगलवार को बढ़कर 321 हो गई। संवाददाता सम्मेलन में श्रीलंका के पीएम ने मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की है। 
आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने श्रीलंका में किए गए धमाकों की जिम्मेदारी ले ली है। ऐसे में हमलों के पीछे अंतरराष्ट्रीय एंगल भी सामने आ गया है। आईएस की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि गठबंधन (आईएस के खिलाफ अमेरिका की अगुआई वाले गठबंधन) के नागरिकों और श्रीलंका में ईसाइयों के खिलाफ हमला करने वाले इस्लामिक स्टेट के लड़ाके हैं। इन धमाकों में अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के 35 विदेशी नागरिक और 10 भारतीयों की भी मौत हो गई। 

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