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 बिहार चुनाव एक तीर से दो निशाने साध रहे चिराग पासवान

 बिहार चुनाव एक तीर से दो निशाने साध रहे चिराग पासवान

नई दिल्ली । बिहार विधानसभा चुनाव सबकी नजरें लोक जनशक्ति पार्टी पर हैं। पहली बार अकेले चुनाव मैदान में उतरी लोजपा की चुनावी रणनीति भी बिल्कुल अलग है। वह केंद्र में एनडीए का हिस्सा है, पर बिहार में अकेले चुनाव लड़ रही है। सिर्फ इतना ही नहीं, वह एनडीए के एक घटक के खिलाफ चुनाव लड़ रही है, तो उसे दूसरे दल के समर्थन में वोट मांगने से भी परहेज नहीं है। लोक जनशक्ति पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव में एक तीर से दो निशाने साध रही है। जेडीयू के खिलाफ मोर्चा खोलकर लोजपा सरकार विरोधी वोट में सेंध लगाना चाहती है, वहीं उसकी कोशिश है कि इन सीट पर भाजपा समर्थक वोट उसके पाले में आ जाए ताकि जेडीयू को झटका लग सके। वर्ष 2015 के चुनाव में कई ऐसी सीट थी, जहां भाजपा ने बहुत अच्छा चुनाव लड़ा था, पर वह जेडीयू से हार गई। ऐसी सीट अपना दबदबा बनाए रखना जेडीयू के लिए मुश्किल होगा। पार्टी की इस रणनीति से जेडीयू की सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला हो जाएगा। लोजपा अपनी रणनीति के मुताबिक भाजपा समर्थक मतदाताओं को अपनी तरफ करने में सफल रहती है, तो जेडीयू को सीधा नुकसान होगा और उसे भाजपा के सहयोगी होने का लाभ नहीं मिलेगा। इस स्थिति में सरकार के खिलाफ नाराजगी अहम भूमिका निभाएगी। लोजपा इसमें से कुछ वोट हासिल करने में सफल रहती है, तो वह जीत की दहलीज तक पहुंच सकती है। बिहार में भाजपा लंबे वक्त से जेडीयू के साथ नंबर दो की पार्टी बनी हुई है। पिछले चुनाव में जेडीयू के राजद के साथ जाने से भाजपा की उम्मीद जगी थी, पर जेडीयू फिर एनडीए में वापस आ गई। ऐसे में लोजपा का जेडीयू के खिलाफ चुनाव लड़ना भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। क्योकि, लोजपा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उप्लब्धियों का जिक्र करेगी। लोजपा चुनाव प्रचार में खुद को भाजपा के साथ खड़ी दिखाना चाहती है। इसलिए, पार्टी लगातार यह कह रही है कि चुनाव के बाद भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाएगी। लोजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हमारा भाजपा के साथ कोई मतभेद नहीं है। प्रचार के दौरान लोजपा पूरी कोशिश करेगी कि भाजपा के साथ रिश्तों पर किसी तरह का कोई असर नहीं पड़े।
 

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