नई दिल्ली । बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार एनडीए और महागठबंधन सहित छह राजनीतिक फ्रंट अस्तित्व में हैं। ऐसे में भाजपा, जेडीयू, कांग्रेस और राजद से टिकट न मिलने वाले नेताओं के पास इस बार सियासी विकल्पों की भरमार है। इसके बाद भी बागी नेताओं की पहली पसंद चिराग पासवान की लोजपा बन गई है, जिन्हें वहां एंट्री नहीं मिल रही है, वे उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) का दामन थामकर सियासी मैदान में दिखाई दे रहे हैं।
नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए में मनमुताबिक सीट न मिलने के बाद अकेले चुनाव लड़ने उतरी लोजपा बिहार में बागियों की पहली पसंद बन चुकी है। चिराग पासवान ने पहले चरण की 6 सीटों पर भाजपा से आने वाले नेताओं को टिकट दिया है। लोजपा ने भाजपा के नेता रहे राजेंद्र सिंह को दिनारा से, उषा विद्यार्थी को पालीगंज से मैदान में उतारने के साथ-साथ भाजपा के झाझा के विधायक रवींद्र यादव, घोसी से भाजपा नेता राकेश सिंह, नोखा से तीन बार के विधायक रहे भाजपा नेता रामेश्वर चौरसिया, बांका के भाजपा नेता मृणाल शेखर को टिकट दिया है।
जेडीयू नेता भगवान सिंह कुशवाहा ने भी लोजपा का दामन थाम लिया है और उन्हें चिराग पासवान ने जगदीशपुर से टिकट दिया है। इसके अलावा दूसरे चरण के लिए भाजपा के जवाहर प्रसाद, देवेश शर्मा, रामअवतार सिंह जैसे नेता भी लोजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में ताल ठोकते दिखाई दे रहे हैं, क्योंकि इनकी परंपरागत सीटें जेडीयू के खाते में चली गई हैं। ऐसे ही जेडीयू के जिन नेताओं की सीट भाजपा के कोटे में चली गई है, वे भी लोजपा का दामन थामकर चुनाव मैदान में उतरने की जुगत में हैं। हालांकि, लोजपा ने पहले चरण में भाजपा के खिलाफ अपने प्रत्याशी नहीं उतारे हैं।
वहीं, दूसरी तरफ आरएलएसपी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने असदुद्दीन औवसी की एआईएमआईएम और बसपा के साथ मिलकर नया गठबंधन बनाया है, जो जेडीयू और भाजपा ही नहीं राजद के बागियों के लिए सियासी ठिकाना बन रहा है। आरएलएसपी ने जमुई विधानसभा क्षेत्र से अजय प्रताप सिंह को टिकट दिया है। अजय प्रताप सिंह पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह के बेटे हैं और जेडीयू से विधायक रह चुके हैं। आरएलएसपी ने भी पहले चरण के 42 उम्मीदवारों की सूची जारी की है, जिसमें करीब एक दर्जन ऐसे नेताओं को टिकट दिया है जो दूसरी पार्टियां छोड़कर आए हैं।
दरअसल, बिहार में इस बार सीट शेयरिंग में ऐसा फॉर्मूला है कि हर एक सीट पर बागी ताल ठोकते दिखाई दे रहे हैं। जेडीयू 115 और भाजपा 110 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, ऐसे में जाहिर तौर पर करीब सौ सीटें ऐसी हैं, जहां कई दावेदार टिकट का इंतजार कर रहे हैं। इसी प्रकार राजद को वाम दलों और कांग्रेस से समझौते के कारण महज 144 सीटें मिली हैं, जो सीटें सहयोगियों के कोटे में गई हैं उन सीटों पर पार्टी के दावेदार खफा हैं और राजनीतिक विकल्प के तौर पर अपने हिसाब से पार्टी चुन रहे हैं।
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बिहार में लोजपा और आरएलएसपी बने विभिन्न पार्टी के बागियों का नया सियासी ठिकाना