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चीन से आयात होने वाले दूध उत्पादों पर रहेगा प्रतिबंध -प्रतिबंध की समय सीमा बढ़ी

चीन से आयात होने वाले दूध उत्पादों पर रहेगा प्रतिबंध  -प्रतिबंध की समय सीमा बढ़ी

चीन से दूध तथा इससे जुड़ उत्पादों के आयात पर रोक अब बंदरगाहों पर स्थित प्रयोगशालाओं में जहरीले रसायन मेलामीन का परीक्षण करने की सुविधा उपलब्ध होने तक जारी रहेगी। चीन से दूध एवं दुग्ध उत्पादों के आयात पर सबसे पहले सितंबर 2008 में रोक लगाई गई थी। इसके बाद से इस रोक को लगातार समय समय पर आगे बढ़ाया जाता रहा है। सरकार द्वारा लगाई गई इस रोक की आखिरी समयसीमा मंगलवार (23 अप्रैल 2019) को समाप्त हो रही थी। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना में कहा है, ‘‘चीन से चॉकलेट, चॉकलेट उत्पादों, कैंडीज, कन्फैक्शनरी, दूध और दूध उत्पादों से तैयार खाद्य सामग्री के आयात पर लगी रोक तब तक जारी रहेगी जब तक कि ऐसी सामग्री के देश में प्रवेश वाले बंदरगाहों पर स्थित प्रयोगशालाओं को मेलामीन जैसे रसायन का परीक्षण करने के लिये अद्यतन नहीं बना दिया जाता है।’’ हालांकि, इन प्रयोगशालाओं को कब तक आधुनिक बनाया जायेगा ताकि वह इस तरह के रसायन की जांच करने में सक्षम होंगी इसके बारे में कोई समयसीमा का जिक्र नहीं किया गया है। चीन से दूध उत्पादों पर रोक तब लगाई गई थी जब उसकी कुछ दूध सामग्री में मेलामीन रसायन होने की आशंका हुई थी। मेलामीन एक खतरनाक जहरीला रसायन है। इसका इस्तेमाल प्लास्टिक और उर्वरक बनाने में किया जाता है। यही वजह है कि भारत चीन से दूध और दूध उत्पादों का आयात नहीं करता है। सुरक्षा उपाय के तौर पर इस तरह के आयात पर रोक लगाई गई है। खाद्य क्षेत्र के नियामक एफएसएसएआई ने मंगलवार को एक वक्तव्य जारी कर कहा था कि उसने चीन से दूध और दूध से बने उत्पादों पर लगाई गई रोक को तब तक बढ़ाने की सिफारिश की थी जब तक कि बंदरगाहों की प्रयोगशालाओं में खतरनाक रसायन के परीक्षण की सुविधा उपलब्ध नहीं हो जाती है। सरकार ने इस सिफारिश को मानते हुये रोक की समयसीमा तब तक के लिये बढ़ा दी। भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध का उत्पादक देश है। देश में सालाना 15 करोड़ टन दूध का उत्पादन होता है। उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा दूध उत्पादन होता है। उसके बाद राजस्थान और गुजरात का स्थान है। मालूम हो कि सर्वप्रथम खाद्य क्षेत्र के नियामक एएसएसएआई ने चीन से दूध उत्पादों के आयात पर लगाई गई रोक को बंदरगाहों पर स्थित प्रयोग शालाओं को आधुनिक बनाये जाने तक बढ़ाने की सिफारिश की थी।

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