YUV News Logo
YuvNews
Open in the YuvNews app
OPEN

फ़्लैश न्यूज़

आर्टिकल

ताजे फल और हरी सब्जियां भी खतरों से भरे 

ताजे फल और हरी सब्जियां भी खतरों से भरे 

भारतीय भोजन में कीटनाषकों की मात्रा निर्धारित मात्रा से ज्यादा पायी जाती है । इसका मुख्य कारण है अन्न, फलों एंव सब्जियों पर कीटनाषको का छिडकाव ,जब हम अन्न, फलों, सब्जियों को  आहार के रूप में लेते है तो कीटनाषकों का एक बडा  हिस्सा हमारे षरीर में पहुंच जाता है और अनेक विकारों को जन्म दे देता हैं 
      लोगो की अवधारणा होती है कि हरी सब्जियां तथा ताजे फल षुद्ध तथा प्राक्रृतिक होते है । लेकिन तल्ख सच्चाई यह है कि लोगो की यह अवधारणा मात्र खुषफहमी के अतिरिक्त कुछ भी नही है। क्योंकि वास्तविकता यह है कि आज के वैज्ञानिक दौर में कुछ भी पूर्णरूप् से षुद्ध तथा प्राकृतिक नहीं रह गया है।सब्जियों जैसे आलू, ,भिडी , टमाटर ,बंदगोभी ,बेगन आदि तथा अनेकों फलों के साथ प्रत्येक दिन हम कुछ न कुछ अंष कीटनाषकों को भी निगल जाते है। हैरत की बात यह है कि हालात यह तक बदतर हो गये है कि कीटनाषको के जहर से आज दूध ,घी , मक्खन ,अंडे ,मछली ,सहित खाधान तक प्रदूशित हो चुके है,  
     कीटनाषकों की मदद से फसल संरक्षण में हमने काफी सफलता हासिल की है।  लेकिन  मानव जाति के लिए फसल -संरक्षण का यह सौदा काफी महंगा सिद्व हो रहा है । 80 के दषक तक मानव को इन कृशि -रसायनों के दुश्परिणामों के बारे में जानकारी नही थी। विष्व का ध्यान इस ओर सनू 1984 में गया जब एफ,ए ,ओ ,ारा निश्कर्श निकाला गया कि खाधान हरी सब्जियों फलों व अन्य खाध पदार्थो में कीटनाषकों की मात्रा बढती जा रही है। इस संगठन ने पाया कि दूध तथा अंडों तक में डीटीटी तथा बी एच सी के अंष विघमान है। विष्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा लिए गए 25 फीसदी नमूनों में कीटनाषकों की मात्रा सुरक्षित सीमा से अत्यधिक पायी गयी ।स्थिति भयावह होती जा रही है कि स्तनपान कराने वाली माताओं के दूध में भी इन कीटनाषकों के अंष रिकार्ड कियेजाने लगे है,क्योंकि जो भी भोजन हम करते है, उन सभी में कुछ न कुछ कीटनाषकों के अंष अवष्य ही मौजूद होते है। 
   यह सच है कि मौजूदा स्थिति में षाकाहारी ही नही,मांसाहारी  भोजन में भी कीटनाषकों का खतरा मंडरा रहा हैं।मांस मछली और अंडों का सेवन आज के युग में स्वास्थवर्द्धक न होकर स्वास्थ्य के लिए समस्या बन गया है। पषुओं का चारा तथा मुर्गियों को दिया जाने वाला दाना कीटनाषकों से प्रदूशित पाया गया है। विभिन्न जानवरों के परीक्षण से उनमें कीटनाषकों के अंष पाये गये है । मछलियों  व अंडो में भी कीटनाषकों के अंष पाये गये है। दूध को सामान्यत:पौश्टिक एवं स्वास्थ्य संचालन हेतु महत्वपूर्ण माना जाता है। दूध तथा उससे तैयार होने वाले अन्य पदार्थ भी कीटनाषको की प्रचुर मात्रा से युक्त होते हैं। 
   भारतीय कृशि वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि सेब पर छिडके गये कीटनाषक डेमिनोजाइड का थोडा भी अंष मानव षरीर में दखिल हो जाए तो यह कैसर को जन्म दे सकता है। इसी प्रकार एल्ड्रिन, डी डी टी बी एच सी आदि रसायन मानव उत्तकों में जमा हो जाते हैतथा लीवर के एन्जाइम्स को प्रभावित करते है।लिन्डेन ,हैप्टाक्लौर मानव के बोन मैरो को प्रभावित करते है तथा कैसर जैसे रोगों का उत्पन्न करते है। इसी प्रकार फलों पर छिडके जाने वाले कीटनाषक मैलाथीऑन तथा मैराथीऑन मानव के न्यूरो तंत्र को अत्यंत प्रभावित करते हैं। कृशि वैज्ञानिक ने गेहू ,चावल मक्का यहां तक कि रोटी में भी घातक कीटनाषकों के अंषों को पाया है । भारतीय खाध निगम में s भंडारकिये गये खाधान्नों में भी मैलाथिऑन तथा बी एच सी जैसे खतरनाक रसायन पाये गये है।  
  पंजाब में किए गये एक अध्ययन में पंजाब में नारियल ,कपास मूगफली सीलम के तेल में बी एच सी के अंष पाये गये ।लखनउ स्थित इंडस्ट्रियल टॉस्कोलॉजी रिसर्च सेटर ने अपने एक अनुसंधान में सरसों तथा नारियल के तेल में एल्ड्रिन तथा हैप्टाक्लौर जैसे कीटनाषक पाये  ।विभिन्न दालों में भी एच सी एच के एष पाये गये है। सब्जियों तथा फलों में एच सी एच के अतिरिक्त एल्ड्रिन ,हैप्टाब्लॉर ,एन्डोसल्फॉन तथा डाईएल्ड्रिन जैसे कीटनाषको के अंष भी पाये गये है। 
   न केवल कीटनाषक ,बल्कि रासायनिक उर्वरक भी हमारे भोजन को विशमय कर रहे है रासायनिक उर्वरकों के माघ्यम   से भारी धातु जैसे मरकरी ,लैड ,सेलेनियम ,निकिल ,क्रोनियम ,मालीब्डिनम आदि षाक-सब्जियों के रूप में हमारे षरीर में प्रवेष कर रहे है। यह धातु मनुश्य में अनेको बीमारियों जैसे हद्वय रोग हाइपारटेषन ,ष्वांस की बीमारी आनुवाषिक रोग ,दौरे आदि को उत्पन करते है। आज नाइट्रोजन उर्वरक का प्रयोग काफी बढ गया है ।यह नाइट्रोजन -नाइट्रेट के रूप में सब्जियों तथा फलों में जमा हो जाता है जो भोजन के माध्यम से हमारी खाध श्रृंखला में षामिल हो जाता है । मानव रक्त में नाइट्रेट की मोजूदगी बेहद नुकसानदेह है क्योंकि नाइट्रेट रक्त में हीमोग्लोबीन से जा मिलता है। इस वजह से रक्त में ऑक्सीजन वहन क्षमता घट जाती है तथा फेफडों से कोषिकाओं तक ऑक्सीजन उचित म़ात्रा में नहीं पहुच पाती है। ऑक्सीजन की कमी हार्टअटैक का कारण वन जाता है।  
(लेखक - मुकेश तिवारी)

Related Posts