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 यूपी में स्‍कूलों में लंचबॉक्स पर बैन, हर 20 स्टूडेंट पर नियुक्त होंगे नोडल अफसर -कोरोना से बचाव के इंतजाम के लिए फिलहाल रोजाना अधिकतम 3 घंटे की क्लास चलेगी

 यूपी में स्‍कूलों में लंचबॉक्स पर बैन, हर 20 स्टूडेंट पर नियुक्त होंगे नोडल अफसर -कोरोना से बचाव के इंतजाम के लिए फिलहाल रोजाना अधिकतम 3 घंटे की क्लास चलेगी

लखनऊ। आठ महीने बाद 19 अक्टूबर से यूपी में फिर स्कूल खोलने की तैयारी शुरू हो गई है। फिलहाल रोजाना अधिकतम तीन घंटे की क्लास चलेगी। इस दौरान कोरोना से बचाव के मानकों के पालन के लिए स्कूलों में हर 20 छात्रों पर एक नोडल अफसर नियुक्त किया जाएगा। इसके साथ स्कूलों में लंचबॉक्स लाने पर भी मनाही होगी। मंगलवार को वर्चुअल मीटिंग में डीआईओएस डॉ मुकेश कुमार सिंह ने सभी स्कूलों को इसके निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि स्कूलों के इर्द-गिर्द खान-पान के ठेले भी नहीं लगेंगे। यह जिम्मेदारी स्कूल की होगी। ऐसा मिलने पर स्कूलों को नोटिस जारी किया जाएगा।
 मीटिंग में डीआईओएस ने कहा कि स्कूलों को कोरोना से बचाव के लिए जारी गाइडलाइंस का पालन करते हुए इसका प्रमाणपत्र भी जमा करना होगा। स्कूल खुलने से पहले जिला स्तर की टीम निरीक्षण भी करेगी। स्कूलों में सैनिटाइजेशन, मास्क, पल्स ऑक्सिमीटर, थर्मल स्कैनिंग और सोशल डिस्टेंसिंग के पालन करवाने का जिम्मा नोडल अफसरों का होगा। डीआईओएस ने कहा कि सभी स्कूल एक स्प्रे मशीन जरूर रखें, ताकि खुलने से पहले और कक्षा खत्म होने के बाद सैनिटाइजेशन हो सके। स्कूलों में पानी की टंकी और शौचालयों की साफ-सफाई का खास खयाल रखना होगा। इसके साथ स्कूल वाहन का भी सैनिटाइजेशन होगा। एक क्लास में 20 से अधिक छात्र नहीं बैठेंगे। क्लास के दौरान शिक्षक और छात्र मास्क नहीं उतारेंगे। छात्रों पर स्कूल आने के लिए किसी तरह का दबाव नहीं बनाया जाएगा। हो सके तो परिसर में छात्रों से एक-एक दीया जलवाकर सकारात्मक संदेश दिया जाए। स्कूलों में एंट्री के दौरान गेट पर सोशल डिस्टेंसिंग के लिए घेरे बनाए जाएंगे। गेट पर ही कोविड हेल्पडेस्क बनेगी, जिसमें छात्रों का पूरा ब्योरा लिखा जाएगा। हेल्प डेस्क पर मौजूद रजिस्टर में थर्मल स्कैनिंग के बाद तापमान और ऑक्सिजन लेवल की जानकारी लिखी जाएगी। डीआईओएस ने कहा कि हो सके तो अभिभावक बच्चों को लेने और छोड़ने आएं। इसके साथ जिन बच्चों को सर्दी, जुकाम, सांस की परेशानी और दिल संबंधी परेशानी है, अभिभावक उन्हें स्कूल न भेजें।
 

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