नई दिल्ली । केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि पराली जलाने से दिल्ली-एनसीआर में सिर्फ चार प्रतिशत ही प्रदूषण होता है और शेष 96 प्रतिशत के लिये स्थानीय कारण जिम्मेदार हैं।
जावड़ेकर ने कहा, "केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की 50 टीमों को दिल्ली-एनसीआर में निरीक्षण के लिए तैनात किया जाएगा। दिल्ली के पर्यावरण में पराली जलाने का केवल 4% प्रदूषकों में योगदान है, बाकी धूल, निर्माण और बायोमास जलने जैसे स्थानीय कारकों के कारण है।"
इस पर, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘‘इनकार करते रहने से कोई लाभ नहीं होगा। यदि पराली जलाने की वजह से केवल चार प्रतिशत प्रदूषण होता है, तो पिछले पखवाड़े में अचानक प्रदूषण क्यों बढ़ गया है? हवा इससे पहले साफ थी। हर साल एक ही कहानी। पिछले कुछ दिन में किसी अन्य स्थानीय स्रोत से प्रदूषण नहीं बढ़ा है, जो हाल में बढ़े प्रदूषण का कारण हो।''
केंद्रीय मंत्री ने केजरीवाल को जवाब देते हुए लिखा, "दिल्ली में वायु प्रदूषण पर मेरे बयान को मीडिया के एक वर्ग ने गलत तरीके से प्रस्तुत किया है। मैं स्पष्ट कर देता हूं कि दिल्ली में वायु की गुणवत्ता के पैमाने में पराली जलने वाले 4% हिस्से के आंकड़े इस सप्ताह से संबंधित हैं। पराली जलाने के ज्यादा उच्च स्तर के दौरान यह 4% से 40% तक होता है।"
दिल्ली-एनसीआर में बृहस्पतिवार को धुंध की परत छाने के साथ ही पूरे क्षेत्र में हवा की गुणवत्ता गिरकर ''बहुत खराब'' की श्रेणी में पहुंच गई। हालांकि क्रमिक प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) के तहत क्षेत्र में बिजली जनरेटर पर प्रतिबंध सहित कई सख्त वायु प्रदूषण-रोधी उपायों को भी लागू किया गया है।
नासा के कृत्रिम उपग्रह द्वारा ली गई तस्वीरों में पंजाब के अमृतसर, पटियाला, तरनतारन और फिरोजपुर तथा हरियाणा के अंबाला और राजपुरा में बड़े पैमाने पर खेतों में पराली जलाए जाने का पता चला है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की ''वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली'' ने कहा कि राजधानी की वायु गुणवत्ता पर इसका प्रभाव फिलहाल कम है।
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पराली जलाने से दिल्ली-एनसीआर में सिर्फ चार प्रतिशत प्रदूषण होता है - जावड़ेकर