विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक रिपोर्ट जारी कर छोटे बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधी गाइडलाइन जारी की है और इसमें कहा गया है कि बच्चों का हेल्दी विकास हो इसके लिए बेहद जरूरी है कि इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन को उनके जीवन का हिस्सा न बनाया जाए।विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो डिवाइसेस भले ही हम लोगों के जीवन का अहम हिस्सा बन चुके हों लेकिन जहां तक संभव हो बच्चों को इससे दूर ही रखें खासतौर पर 5 साल से कम उम्र के बच्चों को। 1 साल या इससे कम उम्र के नवजात शिशुओं को तो स्क्रीन के सामने बिलकुल नहीं लाना चाहिए। इसके साथ ही शिशुओं को दिन भर में 1 घंटे से ज्यादा स्ट्रॉलर्स,हाई-चेयर या स्ट्रैप ऑन कैरियर्स में भी नहीं रखना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो 5 साल से कम के बच्चे अगर बहुत ज्यादा स्क्रीन के सामने वक्त बिताते हैं तो ऐसे बच्चों की लाइफस्टाइल निष्क्रिय और गतिहीन हो जाती है जिससे उनका ऐक्टिविटी लेवल कम हो जाता है और नींद नहीं आने की समस्या भी विकसित होने लगती है। साथ ही आगे चलकर ऐसे बच्चे मोटापा और उससे संबंधित दूसरी बीमारियों से बचे रहें और उनका शारीरिक और मानसिक विकास सही तरीके से हो इसलिए भी स्क्रीन टाइम पर रोक लगाना बेहद जरूरी है।