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प्राचीन सभ्यताओं में नारी का स्थान 

प्राचीन सभ्यताओं में नारी का स्थान 

विश्व  की  प्राचीन सभ्यताओं में नारी शक्ति का महत्त्व स्वीकार किया गया है। हड़प्पा सभ्यता को विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में एक गिना जाता है। कुछ इतिहासकारों का मत है कि यह  प्राचीनतम सभ्यता थी। इस 
सभ्यता में नारी शक्ति का महत्व दर्शाने वाली अनेक  प्रतिमायें मिली हैं। इन प्रतिमाओं में यह उल्लेखनीय है
कि ये प्रतिमा किसी वृक्ष के नीचे खड़ी हैं और उनके पास किसी पशु की मूर्ति है। संभवतः यह बलि पशु है। 
इससे यह ज्ञात होता है कि इस सभ्यता काल में वृक्षों और नारी का विशेष महत्त्व था। अन्य अनेक प्राचीन 
सभ्यताओं में नारी शक्ति की मूर्तियां मिली  हैं।
प्राचीन आर्य सभ्यता में भी नारी शक्ति को विशेष महत्व दिया गया है। यह इससे स्पष्ट है कि जब देवताओं को लगा कि वे अपने बल पर राक्षसों से जीत नहीं सकते तब उन्होंने एक नारी शक्ति का निर्माण किया और उस
शक्ति को अपने अपने शस्त्रास्त्र सौंपे।यह शक्ति दुर्गा थी। यह भी प्राचीन ग्रंथ बताते हैं कि धन की देवी लक्ष्मी, 
विद्या की देवी सरस्वती और गंगा ,सभी देवियां नारी शक्ति का प्रतीक हैं। गंगा , यमुना , सरस्वती, नर्मदा आदि 
सभी नदियों को देवी का दर्जा प्राप्त है।
हड़प्पा और गंगा सभ्यताओं के समान प्राचीन सभी सभ्यताओं में नारी शक्ति को महत्व दिया गया है। ग्रीक सभ्यता में देवियां को इतना महत्व दिया गया है कि वहां अधिकांश कार्यों के समय देवी पूजा का प्रचलन था।
जापान में सम्राट को देवी वंशज माना जाता है। नील नदी घाटी सभ्यता में युद्ध की देवी के रूप में देवी  पूजा 
की प्रथा थी। उनका संबंध सूर्य से भी था और उन्हें सिंह मुखी देवी मना जाता है। तुर्की में ऐमिसस में प्राचीन 
स्मारक है जो आर्टेमिस देवी को समर्पित है। मेसोपोटामिया का उल्लेख भी इस संदर्भ में किया जा सकता है। प्राचीन माया सभ्यता भी उल्लेखनीय है।
प्राचीन काल में नारी शक्ति को इतना महत्व दिया गया है कि जब भी राक्षसों या दैत्यों का वर्णन होता है तब उन्हें पुरुष रूप में दिखाया गया है लेकिन नारियों का वर्णन आम तौर पर श्रद्धा से किया जाता है। रावण ,कंस, 
महिषासुर , शुम्भ निशुंभ , रक्तबीज आदि सभी राक्षस  पुरुष थे।
प्राचीन काल में प्राय: सभी सभ्यताएं नदी घाटी सभ्यताएं थीं। नदियों का सम्बन्ध मानव जीवन से तो रहा है , नारी जीवन से भी विशेष रूप से रहा है। यह अकारण नहीं है कि प्राय:सभी नदियों को नारी रूप में दर्शाया गया है। हड़प्पा जैसी नगर सभ्यताएं अपवाद थीं।
ईसाई धर्म का उल्लेख भी इस संदर्भ में किया जा सकता है जहां माता मरियम  का वर्णन मिलता है।  क्रिश्चियन धर्म में माता मरियम को पूजनीय माना जाता है।
नवरात्रि का त्यौहार वर्ष में चार बार पड़ता है लेकिन आम तौर पर दो नवरात्रि जन साधारण मनाता है।दो नव रात्रियां आम तौर पर शाक्त मत मनाने वाले मनाते हैं। इन्हें गुप्त नव रात्रि भी कहा जाता है। यद्यपि सूचना के 
विस्फोट के इस युग में कुछ भी गोपनीय नहीं रह गया है।जन साधारण सामान्यतः दो  नवरात्रि मनाता  है।इन्हें चैत्र नव रात्रि और आश्विन नव रात्रि के नाम से जाना जाता है।
(लेखक-हर्षवर्धन पाठक)


 

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