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नहीं सुधर रही दिल्ली की हवा कई जगहों पर छाई धुंध की परत

नहीं सुधर रही दिल्ली की हवा कई जगहों पर छाई धुंध की परत

नई दिल्ली । दिल्ली में मानसून की विदाई के साथ ही प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। आलम यह है कि पिछले एक महीने में दिल्ली की हवा में पीएम 10 की हिस्सेदारी ढाई गुना तो पीएम 2.5 की हिस्सेदारी में 4 गुना से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। सोमवार की सुबह की दिल्ली के कई इलाकों में धुंध की परत छाई रही। प्रदूषण के कारण दिल्ली में हवा की गुणवत्ता बिगड़ती जा रही है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार, सोमवार की सुबह दिल्ली के आईटीओ में पीएम 2.5 241, लोधी रोड के आसपास 151और आरके पुरम में 249 रही। वहीं, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सीपीसीबी के एक अन्य आंकड़ों के मुताबिक, 18 सितंबर 2020 को दिल्ली की हवा में पीएम 10 की हिस्सेदारी 114 माइक्रोक्यूबिक घनमीटर थी, जो एक महीने बाद 18 अक्तूबर यानी रविवार को 252 माइक्रोक्यूबिक घनमीटर दर्ज की गई है। 15 अक्तूबर को पीएम 10 की हिस्सेदारी 315 तक पहुंच गई थी। जो इस सीजन में वायुमंडल में पीएम 10 की सबसे अधिक हिस्सेदारी थी। इसी तरह पीएम 2.5 की हिस्सेदारी जो 18 सितंबर को 38 माइक्रोक्यूबिक घनमीटर थी, वह 18 अक्तूबर को बढ़कर 112 दर्ज की गई है, जबकि 15 अक्तूबर को 169 माइक्रोब्यूबिक घनमीटर तक पहुंच गई थी, जो इस सीजन में दिल्ली की हवा में पीएम 2.5 की सबसे अधिक हिस्सेदारी थी। सीपीसीबी के मुताबिक, दिल्ली की वायु गुणवत्ता को छह कारण प्रभावित करते हैं, जिसके कारण प्रदूषण का स्तर पर बढ़ता है। इसमें पीएम 10 के तौर पर धूलकण तो पीएम 2.5 के तौर पर पराली समेत औद्योगिक और अन्य स्त्रोतों से निकलने वाला धुआं शामिल है। साथ ही सीओ, एसओ2, एनओ2 और ओजोन अन्य 4 कारक हैं। इन छह कारकों के आधार पर ही दिल्ली की वायु गुणवत्ता की गणना की जाती है। इन 6 कारकों में से पीएम 10 और पीएम 2.5 प्रदूषण के सबसे बड़े कारक हैं। सीपीसीबी के मुताबिक, रविवार को समग्र दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक 254 दर्ज किया गया, जबकि शनिवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक 287 दर्ज किया गया था। हालांकि प्रदूषण के स्तर में सुधार के बाद भी वायु गुणवत्ता खराब की श्रेणी में बनी हुई है। सफर के मुताबिक सोमवार से प्रदूषण की स्थिति में थोड़ी बढ़ोतरी हो सकती है। हालांकि मंगलवार तक 10 से 15 किमी प्रतिघंटे के बीच हवा चलने का अनुमान है, इस वजह से वायु गुणवत्ता खराब से बेहद खराब की प्रारंभिक श्रेणी में बनी रह सकती है। 301 से 400 के बीच के सूचकांक को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
 

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