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देश का राजनीतिक महौल बिहार चुनाव को प्रभावित कर सकता 

देश का राजनीतिक महौल बिहार चुनाव को प्रभावित कर सकता 

इस माह के अतिम चरण से शुरू होने जा रहा बिहार विधान सभा चुनाव प्रचार अपने अंतिम छोर पर पहुंच चुका है। जहां सभी राजनीतिक दल एक दूसरे पर राजनीतिक प्रहार करते हुए जनमत को अपनी ओर खींचकर सत्ता तक पहुंचने का भरपूर प्रयास कर रहे है। इस प्रयास में अनर्गल , बेसुरे तान के गंगनभेदी स्वर भी गूंज रहे है। इस बार का चुनाव  बिहार की राजनीति में पहले से ज्यादा रोचक दिखाई दे रहा है जहां पूर्व में राजद के साथ मिलकर चुनाव लड़ें जदयू नेता नितीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने एवं बीच में राजद का दामन छोड़ भाजपा से मिलकर बिहार में नई सरकार भाजपा से मिलकर बना ली एवं बिहार के मुख्यमंत्री फिर से बन गये। उस समय राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव चारे घोटाले के मामले को लेकर जेल गये और आजतक जेल में ही है। इस परिवेश का तत्काल बिहार की राजनीति में नितीश का विरोध होता भी नजर आया जो धीरे - धीेरे थम गया। वर्तमान समय में बिहार चुनाव में कभी राजद के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाले जदयू नेता नितीश कुमार भाजपा के साथ चुनाव लड़ रहे है। भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लडने वाले लोजपा इस चुनाव में अलग से चुनाव लड़ती दिखाई दे रही है। जिसके प्रमुख नेता रामबिलास पासवान की तत्काल हुई मृत्यु से इस दल को राजनीतिक नुकसान तो अवश्य हुआ है पर इसके नेता नेता चिराग पासवान को अपने पिता की मृत्यु से उपजे सहानुभूति वोट एवं बिहार के दलित वर्ग का पूर्ण समर्थन मिलने के आसार अवश्य है। फिर भी बिहार के बदलते नये समीकरण एवं सहयोगी रहे भाजपा के विरोधी स्वर जहां उसें वोट कटवा की नजर से देखा जा रहा है, से खतरा होने से मन में अप्रत्याशित भय अवश्य बना हुआ है। 
इस बार चुनाव में राजद एवं जदयू आमने सामने है जबकि पूर्व चुनाव में दोनों एक साथ मिलकर भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़े थे। वर्तमान में बिहार विधान सभा चुनाव में एक ओर प्रमुख रूप से कांग्रेस एवं राजद है तो दूसरी ओर जदयू एवं भाजपा सत्ता पक्ष है। भाजपा एवं जदयू गठबंधन को केन्द्र सरकार का नेतृत्व कर रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कार्यशेली एवं आमजन में उनके प्रति आमजन के उभरे विश्वास के बल पर फिर से सत्ता वापसी की आश बनी हुई है तो राजद को पूर्व चुनाव में भाजपा के खिलाफ मिले जनादेश से हाथ मिलाने वाले जदयू को सत्ता से बेदखल होने एवं फिर से सत्ता पाने की ललक बनी हुई है। चुनाव उपरान्त ही पता चल पायेगा कि बिहार की जनता इस चुनाव में फिर से किसके सिर ताज रखती है। 
देश में कोरोना जैसी महामारी का प्रकोप हर जगह छाया हुआ है। पड़ौसी देशों की नापाक नजरें सीमा क्षेत्र को अशांत किये हुये है। केन्द्र की भाजपा सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाकर आतंकवाद की रीढ़ तोड़ने एवं अयोध्या में मंदिर निर्माण का रास्ता खोलकर हिन्दु जनमत को अपनी ओर आकर्षित करने से देश का राजनीतिक महौल  बदला बदला नजर आ रहा है जहां भाजपा का पक्ष मजबूत नजर आ रहा है। इन दिनों वर्षो तक केन्द्र एवं देश के सर्वाधिक राज्यों में एकछत्र शासन करने वाली कांग्रेस कमजोर होती नजर आ रही है। इस तरह के बदले देश के राजनीतिक महौल का प्रभाव भी बिहार विधान सभा चुनाव को प्रभावित कर सकता है।
(लेखक- डॉ. भरत मिश्र प्राची)

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