वैज्ञानिकों ने दिमाग के उस हिस्से की पहचान करने का दावा किया है, जो डिप्रेशन के लिए जिम्मेदार है। वैज्ञानिकों को मिली सफलता तनाव की समस्या के सटीक इलाज की उम्मीद बढ़ गई है। मैसाच्यूसेट्स इंस्टीट्यूट और टेक्नो्लॉजी में हुए अध्ययन में विशेषज्ञों ने चूहों पर शोध किया। विशेषज्ञ इस अध्ययन के दौरान दिमाग के उस हिस्से, को सक्रिय करने में सफल रहे, जिसे कॉडेट न्यूक्लियस कहते हैं और जो भावनात्मक फैसले लेने के लिए जिम्मेदार माना जाता है। शोध के दौरान विशेषज्ञ जानवरों में नकारात्मक फैसले लेने के लिए प्रेरित करने में सफल रहे। विशेषज्ञों का दावा है कि इस उपलब्धिं से डिप्रेशन का इलाज तलाश रहे वैज्ञानिकों को मदद मिलेगी। शोध के दौरान उन्हों ने देखा कि इस हिस्से का सक्रिय करने से जानवरों ने दी गई परिस्थि ति में असामान्य रूप से मुश्किसल का सामना किया। प्रमुख शोधकर्ता एमआईटी में प्रोफेसर एन ग्रेबील ने बताया कि फैसले लेने में नकारात्म्क रवैया उस हिस्सें के निष्क्रि य होने के बाद भी कई दिनों तक जारी रहा। विशेषज्ञों का कहना है कि कई लोगों में इस मानसिक समस्या को ठीक करना अब भी काफी मुश्किल भरा है। शोधकर्ता फिलहाल मनोवैज्ञानिक की मदद से यह समझने का प्रयास कर रहे हैं, डिप्रेशन के शिकार लोगों के दिमाग के कॉडेट न्यूक्लिकयस हिस्से में कोई असामान्य गतिविधि होती है या नहीं।