नई दिल्ली । पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पैतृक घर में सौ साल से अधिक पुरानी दुर्गा पूजा का आयोजन किया जा रहा है। यह पूजा पहले की तरह ही हो रही है लेकिन हर क्षण मुखर्जी की कमी खल रही है। मुखर्जी का इस साल अगस्त में निधन हो गया था। 126 साल पुरानी देवी पूजा अनुष्ठान में मुखर्जी जरूर हिस्सा लेते थे। वह कोलकाता से करीब 250 किलोमीटर दूर स्थित अपने गांव में दुर्गा पूजा के दिन जरूर पहुंचते थे, भले ही वह केंद्रीय मंत्री रहे हों या राष्ट्रपति वह अपनी पत्नी के निधन के बाद 2015 में नहीं आ सके थे। प्रमुख पुजारी रबी चट्टोराज ने बताया, ‘‘हमें अनुष्ठान करने के दौरान उनकी कमी खल रही है। महा सप्तमी और महा अष्टमी की पूजा के दौरान हमें प्रणब दा के मार्गदर्शन की कमी खली। मुझे लगता है कि वह हमारे साथ हैं और हर अनुष्ठान कराने में हमारी मदद कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि मुखर्जी को धर्मग्रंथ मुंह-जबानी याद थे और इन्हें पढ़ने के दौरान वह एक बार भी पृष्ठ नहीं देखते थे। पुजारी ने बताया, ‘‘उन्होंने हमें बताया था कि वह युवा उम्र से ही हर रोज़ कुछ श्लोक पढ़ते थे जिससे उन्हें पूजा का हर चरण पता था।’’ चट्टोराज ने बताया कि हर साल पूजा से कुछ दिन पहले वह दिल्ली से फोन करते थे और जानकारी लेते थे। इस साल ऐसे कुछ नहीं हुआ। मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी परिवार की पूजा में परिवार के सदस्यों और अन्य के साथ मौजूद थे। उन्होंने कहा, ‘‘हम पिता द्वारा स्थापित हर परंपरा का अनुसरण कर रहे हैं। वह हर अनुष्ठान की निगरानी करते थे और पिछले साल तक पूजा में मौजूद थे। यह यकीन करना मुश्किल है कि वह हमारे साथ नहीं हैं।
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100 साल पुरानी दुर्गा पूजा में खल रही प्रणब मुखर्जी की कमी