यूनिसेफ का कहना है कि भारत में 29 लाख बच्चों को साल 2010 से 2017 के बीच खसरा यानी मीजल्स के टीके की पहली खुराक नहीं मिल पाई है जबकि 80 फीसदी से अधिक टीकाकरण कवरेज रहा था। संयुक्त राष्ट्र बाल स्वास्थ्य इकाई ने बताया कि कम और मध्यम आय वर्ग वाले देशों में खसरे को लेकर स्थिति नाजुक है। यूनिसेफ ने बताया कि 2017 में नाइजीरिया में एक साल से कम उम्र के ऐसे सबसे अधिक बच्चे थे, जिन्हें खसरे के टीके की पहली खुराक नहीं मिल पायी थी और यह संख्या 40 लाख के आसपास है। यूनिसेफ की सूची में उच्च आय वाले देशों की सूची में अमेरिका शीर्ष पर है लेकिन 2010 से 2017 के बीच वहां ऐसे 25 लाख से अधिक बच्चों को खसरे के टीके की पहली खुराक नहीं मिल पाई। इसी अवधि में इसके बाद फ्रांस का नंबर आता है जहां 6 लाख और फिर ब्रिटेन जहां 5 लाख बच्चों को टीका नहीं लग पाया। यूनिसेफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2010 से 2017 के बीच दुनिया भर में कुल 16 करोड़ 90 लाख बच्चों को खसरे की पहली खुराक नहीं मिली। हर साल औसतन यह आंकड़ा 2 करोड़ 11 लाख का है तो वहीं अमेरिका में 2019 में अब तक खसरे के रिकॉर्ड 695 मामले सामने आए हैं। देश को साल 2000 में खसरा मुक्त घोषित किए जाने के बाद पहली बार खसरे के इतने अधिक मामले सामने आए हैं। खसरे के समाप्त होने के बाद इसके मामले फिर से सामने आने का एक बड़ा कारण विकसित देशों में इसके टीकाकरण के विरोध में मुहिम तेज होना माना जा रहा है। इस मुहिम को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक बड़ा वैश्विक स्वास्थ्य खतरा घोषित किया है।
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भारत में 29 लाख बच्चों को नहीं मिली खसरे के टीके की पहली खुराक: यूनिसेफ - कम और मध्यम आय वर्ग वाले देशों में खसरे को लेकर स्थिति नाजुक