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हिमाचल में 10 करोड़ रुपये की लागत से बनेंगे 100 स्वच्छता कैफे

हिमाचल में 10 करोड़ रुपये की लागत से बनेंगे 100 स्वच्छता कैफे

शिमला । हिमाचल सरकार ने वर्ष 2023 तक 10 करोड़ की लागत से राज्य के सभी महत्वपूर्ण स्थानों में 100 स्वच्छता कैफे खोलने का लक्ष्य रखा है। इसका उद्देश्य इस वितीय वर्ष के अन्त तक राज्य के विभिन्न भागों से 25 टन का एकल उपयोग प्लास्टिक एकत्रित करना है। यह प्रदेश को स्वच्छ, हरा-भरा तथा प्लास्टिक मुक्त बनाएगा। इसकी पु‎‎ष्टि ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेन्द्र कंवर ने की। पंचायती राज मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार स्वच्छता, महिला सशक्तिकरण तथा स्थानीय व्यंजनों के प्रचार पर विशेष बल दे रही है। इसी संदर्भ में राज्य सरकार द्वारा स्वच्छता कैफे अभियान चलाया जा रहा है। इसके अंतर्गत कूड़ा एकत्रित करने वालों, घर से कूड़ा एकत्रित करने वाला तथा शहरी स्थानीय निकायों से 75 रूपये प्रति किलो की दर से प्लास्टिक कचरा, खाद्य व अन्य खाद्य सामग्रियों के बदले में क्रय किया जा रहा है। इसके माध्यम से कूड़ा एकत्रित करने वालों और लोगों को अपने आस-पास के क्षेत्रों को साफ सुथरा रखने के लिए प्रेरित किया जाएगा। राज्य में स्वच्छता कैफे, ग्राम हाट योजना के तहत निर्मित किये जाएंगे, जहां महिलाओं को औषधीय पौधे जैसे गिलोय, पुदीना, नीम पाउडर तथा आचार, मुरब्बा, गेहूं का आटा, दालें, मसाले व सब्जियां इत्यादि को उचित मूल्य पर बेचने के लिए सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। स्वच्छता कैफे योजना ग्रामीण गरीब महिलाओं को आजीविका के प्रभावी साधन प्रदान करने के लिए शुरू की गई है। स्वच्छता कैफे चलाने वाली महिलाओं को सत्कार क्षेत्र में प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि वे लोकप्रिय पारंपरिक व्यंजनों को पकाने और व्यंजनों का स्वाद बनाए रखने में प्रशिक्षित हो सकें। इस योजना के तहत वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान लगभग 100 महिलाओं को सत्कार विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा। इन कैफे को व्यावसायिक तरीके से चलाने, आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाने और स्थानीय ग्राहकों में रूचि पैदा करने के लिए आगामी तीन वर्षों के दौरान स्वयं सहायता समूहों से सम्बन्धित 5000 महिलाओं को सत्कार क्षेत्र में प्रशिक्षण प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस योजना के तहत यदि कोई व्यक्ति प्लास्टिक का अधिक कचरा लाता है तो वह अगली बार कैफे में भोजन के लिए अतिरिक्त पैसों का इस्तेमाल कर सकता है। वीरेन्द्र कंवर ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य आगामी वर्षों के दौरान गांवों को एकल उपयोग प्लास्टिक से पूरी तरह मुक्त करना है। आगामी वर्षों के दौरान यह योजना चरणबद्ध तरीके से पूरे राज्य में लागू की जाएगी।
 

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