शिमला । हिमाचल में कोरोना काल के दौरान सीमेंट के दामों ने बढ़ते जा रहे हैं। इससे आम लोगों का घर बनाना महंगा हो गया है। ऐसे में उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ने अपने बयान दिए हैं। उन्होंने कहा कि सीमेंट का दाम बढ़ना दुर्भाग्यपूर्ण है। हमने कंपनियों को भी तलब किया था। उनका तर्क है कि तेल के रेट बढ़ गए हैं और ट्रांसपोर्ट खर्चा भी ज्यादा हो गया है। उद्योग मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार उनके तर्कों से सहमत नहीं है, क्योंकि जब तेल के दाम गिरते हैं तो रेट क्यों नहीं घटाए जाते हैं। हिमाचल में तीन सीमेंट फैक्ट्रियां हैं। मंत्री ने यह भी कहा कि वह इस मामले में बेबस हैं, क्योंकि सरकार सीमेंट की दरें तय नहीं कर सकती हैं। नियमों के तहत सरकार सीमेंट के दाम का निर्धारण नहीं कर सकती है, लेकिन अब हिमाचल सरकार सीमेंट की कीमत निर्धारण करने को लेकर कानून लाने जा रही है। साथ ही सरकार से भी बात की जाएगी। सीमेंट के निर्धारण के लिए प्रदेश के पास भी पैमाना हो। इसके लिए मंत्री ने उद्योग विभाग के अधिकारियों को कानून तैयार करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार यह भी विचार कर रही है कि सरकारी निर्माण में लगने वाले सीमेंट के लिए कंपनियों से रेट कांट्रेक्ट होता है। उस रेट कांट्रेक्ट के जरिए कुछ प्रतिशत राहत आम लोगों को दी जा सकती है। हिमाचल में तीन बड़ी कंपनियां सीमेंट तैयार करती हैं, जिसमें एसीसी, अबुंजा और अल्ट्राटेक शामिल हैं। प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन हो रहा है। इसके बावजूद प्रदेश में सीमेंट महंगा मिलता है और पड़ोसी राज्यों में सस्ता दिया जा रहा है। यह हमेशा राजनीतिक मुद्दा भी बनता है, लेकिन अब तक कोई हल भी नहीं निकला है।
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सीमेंट के बढ़ते दामों पर उद्योग मंत्री ने दिए अपने बयान कहा: सरकार सीमेंट की दरें नहीं कर सकती तय