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 कोरोना से दिमाग पर बुरा असर

 कोरोना से दिमाग पर बुरा असर

नई दिल्ली । अब हम आपके शरीर के कंप्यूटर यानी दिमाग की बात करेंगे। कल 29 अक्टूबर को वर्ल्ड स्ट्रोक डे मनाया गया। यहां हम आपको बताएंगे कि स्ट्रोक क्या है और कोरोना काल में हम कैसे इससे बच सकते हैं। ब्रेन स्ट्रोक का मतलब है, जब दिमाग के किसी हिस्से को ऑक्सीजन या खून की सप्लाई अचानक रुक जाती है तो दिमाग के उस हिस्से के सेल्स यानी कोशिशकाएं मर जाती हैं। इस स्थिति को ब्रेन स्ट्रोक या ब्रेन अटैक कहा जाता है। एक अनुमान के मुताबिक, स्ट्रोक  के दौरान हर एक सेकेंड में 32 हजार ब्रेन सेल्स मर जाती हैं और ये नुकसान अक्सर स्थायी यानी पर्मानेंट होता है।आपका सोना- जागना, सोचना, चलना-फिरना, खाना, बोलना, आपकी भावनाएं, सब कुछ नियंत्रित करने वाला दिमाग 24 घंटे काम करने वाली मशीन है। इसलिए इस मशीन को सही सर्विसिंग यानी देखभाल की जरूरत होती है। दुनिया में हर 4 में से एक व्यक्ति को ब्रेन स्ट्रोक का खतरा होता है। यानी हर चौथा व्यक्ति स्ट्रोक के खतरे के दायरे में है। स्ट्रोक यानी ब्रेन अटैक के शिकार होने वाले 20 फीसदी लोग 40 वर्ष से कम उम्र के होते हैं। विश्व में स्ट्रोक मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। पहला कारण दिल की बीमारी है। भारत में हर वर्ष 18 लाख लोग स्ट्रोक का शिकार हो जाते हैं। कोरोना वायरस से रिकवर होने के बाद बहुत से मरीज दिमाग के सुस्त पड़ने की शिकायत कर रहे हैं। कई लोगों को फोकस न कर पाने और चीजों को न समझ पाने की समस्या हो रही है। इस समस्या को ब्रेन फॉग का नाम दिया गया है। हालांकि डॉक्टर अभी तक ये तय नहीं कर पाए हैं कि कोरोना संक्रमण से रिकवर हुए मरीजों में ये लक्षण कितने दिनों तक रहेंगे। लेकिन ये जरूर समझा जा सकता है कि ऐसा क्यों हो रहा है। कोरोना वायरस के शिकार मरीजों में ब्लड क्लॉट यानी खून के जमने की समस्या हो सकती है। इसके अलावा, कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को आइसोलेशन यानी अकेले में रहना पड़ता है और एक ऐसी बीमारी से जूझना पड़ता है, जिसका कोई पुख़्ता इलाज अभी नहीं मिला है। ये अनिश्चितता भी दिमाग पर बुरा असर डालती है।अब हम बात करते हैं दूसरी वजह की, जो पूरी तरह से हमारी खुद की बनाई हुई है। ये समस्या है, खराब लाइफस्टाइल। इसमें हम सबसे पहले मोबाइल फोन को रखेंगे क्योंकि खराब लाइफस्टाइल वाली लिस्ट में ये पहले नंबर पर आ चुका है। अमेरिका के एक रिसर्च के मुताबिक 50 मिनट से ज़्यादा देर तक मोबाइल फोन का इस्तेमाल ब्रेन एक्टिविटी को तेज कर सकता है। यानी मोबाइल फोन आपके दिमाग की शांति को भंग करके उसे एंजाइटी  यानी तनाव देने का काम करता है। इसके अलावा अगर आप धूम्रपान करते हैं, आपका ब्लड प्रेशर हाई है, आपको डायबिटीज है, आप जंक फूड बहुत खाते हैं और आप व्यायाम करने में यकीन नहीं रखते तो आपको ब्रेन स्ट्रोक का खतरा ज्यादा है। तीसरी वजह है, गर्दन की गलत तरीके से की गई मालिश। गर्दन की मसाज अगर गलत तरीके से की जाए तो सीधे अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आ सकती है। आपका मस्तिष्क जितना सेहतमंद होगा, आपका शरीर उतना ही स्वस्थ रहेगा क्योंकि आपके शरीर का कंट्रोल आपके दिमाग के पास है। इसलिए ये जरूरी है कि आप अपने मस्तिष्क की सेहत का ठीक से ख़्याल रखें।
 

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