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कांग्रेस का गढ़ थी 'पहाड़ों की रानी', अब भाजपा का कब्जा -वक्त की बयार के साथ बदला इस सीट का राजनीतिक मिजाज

कांग्रेस का गढ़ थी 'पहाड़ों की रानी', अब भाजपा का कब्जा  -वक्त की बयार के साथ बदला इस सीट का राजनीतिक मिजाज

हिमालचन प्रदेश की शिमला लोकसभा सीट को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता था, क्योंकि अब तक यहां 12 लोकसभा चुनाव हुए हैं और 8 बार यह सीट कांग्रेस के खाते में गई है। वक्त की बयार के बाद शिमला की राजनीति ने भी अपना मिजाज बदला और 2009 के आम चुनावों में बीजेपी का खाता खुला और वीरेंद्र कश्यप सांसद बनें। 2014 के आम चुनावों में भी जनता के बीजेपी को ही पसंद किया और दोबारा वीरेंद्र कश्यप सत्तासीन हुए।इस सीट पर वोटरों की संख्या 11.53 लाख है।इनमें 6.07 लाख पुरुष वोटर और 5.46 महिला वोटर है।2014 के लोकसभा चुनाव में यहां करीब 63 फीसदी मतदान हुआ था। चुनाव अधिकारी ने बताया कि सोलन से विधायक 78 वर्षीय शांडिल ने शिमला लोकसभा सीट से पर्चा भरा जबकि अमित नंदा ने डमी प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल किया।शांडिल के साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा, प्रदेश कांग्रेस की प्रभारी रजनी पाटिल, पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह एवं हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर भी पहुंचे थे।माकपा के दलीप सिंह कैथ एवं निर्दलीय उम्मीदवार देव राज भारद्वाज ने मंडी सीट से नामांकन दाखिल किया।हिमाचल में लोकसभा की सभी चार सीटों - कांगड़ा, मंडी, हमीरपुर और शिमला में 19 मई को सातवें एवं अंतिम चरण में मतदान होना है।लोकसभा चुनाव 2014 के परिणामों पर नजर डालें तो बीजेपी के वीरेंद्र कश्यप दूसरी बार सांसद बने थे, लेकिन उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी को महज 84 हजार वोटों से मात दी थी।पिछले परिणाम को देखकर इस बात के कयास लगाए जाने लगे हैं कि इस बार कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे का मुकाबला होने वाला है। कांग्रेस अपना गढ़ बचाने के लिए रण में उतरी है तो वहीं, बीजेपी जीत की हैट्रिक लगाने के लिए।

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