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किसान आंदोलन के चलते पंजाब में बिजली संकट गहराया, ब्लैकआउट की आशंका

किसान आंदोलन के चलते पंजाब में बिजली संकट गहराया, ब्लैकआउट की आशंका

चंडीगढ़ । केंद्र सरकार द्वारा पारित नए कृषि कानून के खिलाफ पंजाब में किसान सड़कों पर उतर आए हैं। प्रदर्शन और रेल रोको आंदोलन के कारण अब वहां बिजली की हालत खराब हो गई है। रेल यातायात प्रभावित होने के कारण कोयले की सप्लाई ठीक से नहीं हो पा रही है, ऐसे में उत्पादन का काम रुका हुआ है। हाल ही में पास हुए तीन किसान बिल के विरोध में पंजाब के किसान 1 अक्टूबर से ही रेल रोको आंदोलन कर रहे हैं। कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में ईंधन भंडार न के बराबर बचा है। अधिकारियों ने शुक्रवार को कहा कि ऐसे में बिजली कटौती के अलावा कोई उपाय नहीं है। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने इस मामले में रेल मंत्री पीयूष गोयल से हस्तक्षेप का आग्रह किया था। इसके बाद गोयल ने कुछ दिन पहले पंजाब सरकार से ट्रेनों और रेलवे के कर्मचारियों की सुरक्षा का आश्वासन देने को कहा। किसान यूनियनों ने 21 अक्टूबर को घोषणा की थी कि 'रेल रोको' आंदोलन से मालगाड़ियों को बाहर रखा जाएगा। किसान केंद्र के नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। हालांकि रेलवे ने बाद में मालगाड़ियों का परिचालन निलंबित रखने का फैसला किया। उसका कहना था कि विरोध कर रहे किसान अभी भी मालगाड़ियों को रोक रहे हैं। 
पंजाब के सहकारिता और जेल मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा, 'केंद्र पंजाब में मालगाड़ियों को निलंबित कर राज्य को निशाना बना रहा है क्योंकि यहां के किसानों और सरकार ने कृषक विरोधी कानूनों का विरोध किया है।' उन्होंने कहा, 'भारत सरकार के अधिकारियों को स्वयं जाकर यह जांच करनी चाहिए कि क्या किसान अभी भी पटरियों पर बैठे है। जंडियाला गुरू को छोड़कर सभी ट्रैक पूरी तरह से खाली हैं। वहां से भी ट्रेन को तरनतारन के रास्ते अमृतसर लाया जा सकता है।'
पंजाब राज्य बिजली निगम लि. के चेयरमैन-सह-प्रबंध निदेशक ए वेणु प्रसाद ने कहा कि पांच तापीय बिजली संयंत्रों में से केवल एक चल रहा है। प्रसाद ने संवाददाताओं से बिजली की मौजूदा स्थिति को दयनीय बताया। उन्होंने कहा, 'एक महीने से राज्य में कोयला रैक नहीं आ रहे। इससे राजपुरा में नाभा थर्मल प्लांट और मनसा में तलवंडी साबो पावर लि. में कोयला पूरी तरह से खत्म हो गया है।' उन्होंने कहा, 'तीन अन्य बिजली संयंत्रों में कोयला भंडार दो से तीन दिनों के लिये ही बचा है। हमने आपात स्थिति के लिये उसे रखा है। हम स्थिति को देखते हुए 1,500 मेगावाट से 1,700 मेगावाट बिजली एक्सचेंज से खरीद रहे हैं। लेकिन यह भरोसेमंद व्यवस्था नहीं है। कभी हमें बिजली मिलती है, कभी नहीं। हमें यह भी नहीं पता होता कि बिजली किस दर पर मिलेगी।' 
 

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