YUV News Logo
YuvNews
Open in the YuvNews app
OPEN

फ़्लैश न्यूज़

आर्टिकल

ये नेता दिन को दो और रात के एक हैं 

ये नेता दिन को दो और रात के एक हैं 

राजनीति का दर्ज़ा हमेशा से घटिया माना गया हैं आदिकाल से लेकर वर्तमान काल में राजनीती ख़राब नहीं होती, ख़राब करती हैं जो उसमे भाग  लेते हैं जिन्हे पर राजनीतिज्ञ कहते हैं। यह श्रेणी का जानवर बहुत अजीव होता हैं। विश्व में जितने भी जानवर हैं वे अपनी प्रकृति के अनुसार आचरण, आहार करते हैं जैसे हाथी, घोडा, बन्दर, गाय, बैल बकरी आदि पूर्ण शाकाहार होते हैं वे कभी मांस नहीं खाते इसी प्रकार शेर चीता आदि मांसाहारी होते है पर राजनीती करने वाले सूअर, कुत्ता, स्वाभाव वाले होते हैं।
कुत्ता जिसे सभ्य भाषा में श्वान कहते हैं और शेर में क्या अंतर होता हैं? कुत्ता आपस में लड़ते हैं और कोई उसे पत्थर मारता हैं तो वह पत्थर की तरफ दौड़ता हैं जबकि सिंह कभी आपस में नहीं लड़ते और शिकारी जब गोली मारता हैं तब वे शिकारी की तरफ दौड़ते हैं। यह मोटा मोटा अंतर हैं।
हमारे राजनेता श्वान वृत्ति के होते हैं उनका चरित्र बहुत शंकास्पद रहता  हैं और उनमे सूअर वृत्ति होती हैं, जैसे सूअर सबसे गन्दा मल खाता हैं पर वह अकेला ही खाना चाहता हैं इसी प्रकार सब राजनेता धन रूपी मल को खाते है पर अकेले। स्वार्थ के लिए वे न अपनों को देखते और धन के लिए दूसरों की बलि तक ले लेते हैं। तीसरा उनकी कमजोरी पद प्रतिष्ठा  उसके लिए वे किसी के भी चरण वंदन करते हैं जब स्वार्थ होता हैं तो गधे को बाप बना लेते हैं।
एक बहुत अच्छा गुण होता हैं दोगलापन। यानी वे कब विरोधियों से मिलकर अपनी स्वार्थ पूर्ती के लिए किसी भी स्तर तक जाते हैं। उनका कभी विश्वास नहीं करो। यदि सांप और नेता दोनों एक साथ दिख जाए तो सबसे पहले नेता को मार डालो कारण सांप का काटा कभी भी बच सकता हैं पर नेता इतना जहरीला होता हैं। की उसका डंसा से कोई बच नहीं सकता।
वे अपने वादे  को कभी पूरा नहीं करते। झूठ बोलना उनके संस्कारों में हैं। यदि वे देहली का बोलेंगे और पता चला मुंबई पहुँच गए। जो एक दूसरे को दिन रात गला फाड़ कर गाली देते हैं जग जाहिर वे उनके साथ दोस्ती निभाते हैं और उनके पिच्छलग्गू पिटते हैं वे सब शराब, कबाव और शबाव में एक हैं। दोनों की कॉमन लेडी दोस्त होती हैं। जहाँ पर वे पूरा सुख भोगते हैं। वहां कोई लड़ाई विवाद नहीं होता हैं। इसलिए कहते हैं ये नेता दिन के दो और रात के एक होते हैं जिसका प्रमाण हैं।
 (लेखक- वैद्य अरविन्द जैन)
 

Related Posts