एक अध्ययन में दावा किया गया है कि प्रेग्नेंसी के दौरान अगर महिलाएं फिश खाती हैं या फिर फिश ऑइल के सप्लिमेंट्स लेती हैं तो इससे प्रिमच्योर बर्थ का खतरा कम हो जाता है। अध्ययन के मुताबिक, जिन महिलाओं में ओमेगा-3 फैटी ऐसिड्स की कमी होती है, वे अगर प्रेग्नेंसी के दौरान फिश या फिश ऑइल सप्लिमेंट लें, तो प्रिमच्योर बर्थ में कमी आती है। इस स्टडी में सामने आया कि जिन प्रेग्नेंट महिलाओं में पहली और दूसरी तिमाही में एन-3 फैटी ऐस्डिस की कमी थी, उनमें प्रिमच्योर बर्थ का ज़्यादा खतरा था, जबकि जिन महिलाओं में इन फैटी ऐसिड्स की मात्रा अधिक पाई गई, उनमें यह खतरा न के बराबर था। शोधकर्ताओं ने डेनमार्क में सवालों और रजिस्ट्री लिंकेज के ज़रिए 96 हजार बच्चों को परीक्षण किया। साथ ही उन्होंने 376 ऐसी महिलाओं के ब्लड सैंपल का भी परीक्षण किया, जिनकी 1996 से 2003 के बीच प्रिमच्योर डिलिवरी थी। इसके अलावा उन महिलाओं का ब्लड सैंपल भी लिया गया, जिनकी डिलिवरी नॉर्मल थी यानी फुल-टर्म बर्थ था। परिणामस्वरूप सामने आया कि ईपीए+डीएचए सीरम लेवल कम था या टोटल प्लाज्मा फैटी ऐसिड्स का 1.6 पर्सेंट या इससे भी कम था, उनमें प्रिमच्योर बर्थ का रिस्क ज़्यादा था।शोधकर्ताओं की मानें तो कुछ लॉन्ग चेन फैटी ऐसिड्स, प्रिमच्योर बर्थ के लिए ज़िम्मेदार होते हैं। प्रिमच्योर बर्थ ही नवजात शिशु की मौत का सबसे बड़ा कारण है और जो शिशु प्रिमच्योर बर्थ के बाद भी जीवित रह जाते हैं, उनमें आगे चलकर कई सारी समस्याएं पैदा हो जाती हैं। आगे जाकर उनके अंदर दिमाग और दिल संबंधी विकार पैदा हो जाते हैं।